हुविष्क के जीवन काल – कनिष्क के पश्चात् उसका पुत्र हुविष्क जो कि भारतीय प्रान्तों पर पहले से ही शासन कर रहा था, राजा हुआ। किन्तु वह अपने पिता कनिष्क की भाँति महान विजेता, सफल शासक, महान निर्माता और साहित्य एवं कला का आश्रयदाता न था। उसके धर्म के विषय में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता उसकी मुद्राओं पर ईरानी यूनानी और भारतीय देवी-देवताओं के चित्र मिलते हैं। उसने मथुरा में बौद्ध विहार बनवाया हुविष्क की मुद्राओं में रोमन देवताओं का भी चित्र है परन्तु बुद्ध का कोई चित्र नहीं है। हुविष्क के समय रुद्रदामन ने सिन्ध प्रान्त जीतकर कुषाणों को वहाँ से भगा दिया था।
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परिणाम यह हुआ कि सिन्धु नदी की निचली घाटी से उसका अधिकार शीघ्र ही समाप्त हो गया और राजनैतिक दृढ़ता भी समाप्त हो गई। इसके अतिरिक्त उसने भारतीय एवं हिन्दूकुश के दक्षिण का साम्राज्य सुरक्षित रखा उसके सिक्कों में लिपि तो ग्रीक है परन्तु भाषा ग्रीक नहीं है। इसने सन् 182 ई. तक शासन किया।