हिन्दू समाज में स्त्रियों की निम्न स्थिति के क्या कारण हैं?

हिन्दू समाज में स्त्रियों की निम्न स्थिति के प्रमुख कारण निम्नलिखित है

(1) कन्यादान का आदर्श

(1) कन्यादान का आदर्श , किन्तु प्रारम्भ में इस आदर्श का अर्थ केवल कन्या के लिए योग्य, सुपात्र वर ढूंढने से था। किन्तु स्मृतिकाल के पश्चात् ‘कन्या को दान में दी जाने वाली एक वस्तु के रूप में मान लिया क्योंकि यह मान्यता उमरी कि जो वस्तु एक बार दान दे दी जाती है, उसे न तो वापस लिया जा सकता है और न ही दोबारा दान किया जा सकता है। जिस व्यक्ति का कन्यादान किया जाता है, वह उसका मनचाहा उपयोग कर सकता है। इस प्रथा के फलस्वरूप स्त्रियों की स्थिति परिवार में बहुत निम्न हो गई।

(2) पुरुषों पर आर्थिक निर्भरता

स्मृतिकाल से स्त्रियों के सम्पत्ति सम्बन्धी अधिकार समाप्त हो जाने के कारण वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूर्णतया पुरुषों पर निर्भर हो गयीं। अशिक्षा तथा आर्थिक निर्भरता के कारण वे शोषण की स्थिति में भी परिवार की सहायता नहीं छोड़ सकती थीं। इससे भी परिवार में स्त्रियों की स्थिति निम्न होती गई।

संयुक्त परिवार की विशेषता लिखिए।

(3) स्त्री शिक्षा पर रोक व उपेक्षा

अनेक आर्थिक, सामाजिक व धार्मिक कारणों ने स्त्रियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया। शिक्षा के अभाव में स्त्रियों की जागरूकता में कमी आने लगी। अशिक्षा के कारण खियों में अन्धविश्वासों, कुसंस्कारों, रूढ़ियों आदि कुरीतियों ने घर कर लिया। अब उनका कार्यक्षेत्र केवल पति, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों की सेवा मात्र रह गया।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top