हर्ष की कन्नौज महासभा और स्वेनसांग ।

हर्ष की कन्नौज महासभा – बौद्ध धर्म ग्रहण करने के पश्चात् हर्ष ने कन्नौज में बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय के प्रचार के लिए कन्नौज में एक महासभा का आयोजन किया। इस सभा का अध्यक्ष स्वेनसांग को बनाया गया। इस महासभा में 3000 महायान और हीनयान बौद्ध भिक्षुओं के अतिरिक्त 3000 ब्राह्मणों तथा 1000 नालन्दा विश्वविद्यालय के विद्वानों ने भी भाग लिया था। इस महासभा में अनेक राजाओं और महाराजाओं को भी बुलवाया गया था। यह सभा 23 दिनों तक चलती रहीं। इसमें गंगा के तट पर सौ फिट ऊँचे विशाल चैत्य का निर्माण किया गया। चैत्य में महात्मा बुद्ध की मूर्ति रखी गयी। प्रति दिन प्रातः • काल महात्मा बुद्ध की प्रतिमा का जुलूस निकाला जाता था। जब यह जुलूस चैत्य के समीप पहुंचता या तो सर्वप्रथम हर्ष अनेक बहुमूल्य मणियों एवं रेशमी वस्वों को बुद्ध की मूर्तियों पर चढ़ाता था अन्य लोग भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार चढ़ाते थे। इस सभा में हर्ष ने स्वेनसांग के प्रति खतरे से आशंकित होकर यह घोषणा कर रखी थी कि जो भी ह्वेनसांग के विरुद्ध बोलेगा उसकी जीभ काट ली जायेगी। ऐसी स्थिति में भी एक व्यक्ति ने स्वेनसाग पर छूरे से प्रहार किया लेकिन उसे पकड़ लिया गया और स्वेनसाग की हत्या की साजिश के आरोप में 500 ब्राह्मणों को गिरफ्तार किया गया। अपना अपराध स्वीकार करने पर उन्हें देश से निर्वासित कर दिया गया।

अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना का अर्थ व परिभाषा लिखिए।

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