हर्ष और प्रयाग की महामोक्ष परिषद्

हर्ष और प्रयाग की महामोक्ष – स्वेनसाग के अनुसार सम्राट हर्षवर्धन प्रत्येक पाँचवें वर्ष प्रयाग (इलाहाबाद) के संगम तट पर धार्मिक क्रियाएं और प्रचुर दान करता था। सन् 643 ई. के प्रयाग सम्मेलन में हर्ष के साथ हवेनसांग भी उपस्थित था। प्रयाग में होने वाली यह हर्ष की छठी सभा थी। हर्ष पिछले 30 वर्षों से प्रयाग में ऐसे 5 सम्मेलन आयोजित करा चुका था। इस अवसर पर 5 लाख से अधिक व्यक्ति शामिल हुए थे। उनके निवास तथा भोजन के लिए हर्ष ने प्रबन्ध किया था।

यह सभा तीर्थराज प्रयाग में गंगा और यमुना के संगम पर हुई जिस कारण इस सभा का विशेष महत्व है। इस सम्मेलन में हर्षवर्धन के साथ अनेक मित्रों तथा राजाओं ने भाग लिया था। सभा का प्रारम्भ पहले दिन एक जलूस से हुआ और महात्मा बुद्ध की मूर्ति स्थापित की गयी तथा अनेक दान आदि दिये गये थे। चौथे दिन 10,000 बौद्ध भिक्षुओं को दान दिया गया। प्रत्येक भिक्षु को 100 स्वर्ण मुद्रायें, 1 मोती, भोजन और वस्त्र दान दिये गये। तत्पश्चात् 10 दिन तक अन्य धर्मावलम्बियों को दान दिया गया, 30 दिन तक अनावों और गरीबों को दान दिया गया। इस प्रकार सम्राट हर्ष का सम्पूर्ण राज्य का खजाना खाली हो गया था। सम्राट हर्ष ने अपने बदन के वस्त्र भी दान में दे दिये थे और फिर बहिन राजश्री से वस्त्र मांगकर अपने तन को ढंका था। यह सभा 75 दिन तक चली, इसमें कोई सन्देह नहीं कि दान के क्षेत्र में कोई भी सम्राट उस समय हर्ष की बराबरी नहीं कर सकता था।

संविधान और शिक्षा पर एक निबंध लिखिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top