हड़प्पा सभ्यता के उद्भव संबंधी स्वदेशी मत पर टिप्पणी लिखिए।

हड़प्पा सभ्यता के उद्भव संबंधी स्वदेशी मत – इस मत को मानने वालों में फेयर सर्विस, अमलानन्द घोष, आल्विन दम्पत्ति, एस.आर. राव एवं डी.पी. अग्रवाल प्रमुख हैं। इन विद्वानों का मानना है कि सिन्धु सभ्यता का उद्भव ईरानी, बलूच और सिन्धु संस्कृतियों (आमरी, कोटिदाजी) तथा भारत की स्थानीय संस्कृतियों से हुआ।

अमलानन्द घोष ने अपने शोधों से यह सिद्ध कर दिया कि राजस्थान के बीकानेर में स्थित सोथी संस्कृति से ही इस सभ्यता का उद्भव हुआ है। उन्हें सुरकोटड़ा से सिन्धु संस्कृति और सोधी संस्कृति के अवशेष साथ-साथ मिले हैं। इसी तरह कालीबंगा से मिलें पूर्व सिन्धु संस्कृति के अवशेष सोथी से मिले अवशेषों के समान पाए गए। प्रसिद्ध इतिहासकार आल्चिन और डी.पी. अग्रवाल ने लिखा है कि सोथी संस्कृति कोई अलग संस्कृति नहीं थी, बल्कि सिन्धु सभ्यता का ही प्रारम्भिक रूप थी। सिन्धु संस्कृति और सोथी संस्कृति दोनों के मृदभाण्डों पर एक ही समान पीपल के पत्तों का चित्रण है। उनके मृदभाण्डों पर रस्सी के निशानों में भी समानता है। दोनों जगह छल्लेदार गोड़े वाले बर्तन प्राप्त हुए हैं। अतः कहा जा सकता है कि सोधी संस्कृति से ही सिन्धु सभ्यता का उदय हुआ । सम्प्रति यही मत विद्वानों में भी मान्य है।

मुन्ज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये।

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