गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति

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गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में मतभेद है। जहाँ कुछ विद्वान उनकी उत्पत्ति विदेशियों से स्वीकार करते हैं, वहीं कुछ अन्य विद्वान उन्हें भारतीयों की सन्तान मानते हैं। इन विद्वानों में जी. एच. ओझा, सी.वी. वैद्य, दशरथ शर्मा, आर.सी. त्रिपाठी आदि है। वी. एन. पुरी का कथन है कि कभी-कभी ब्राह्मण को भी गुर्जर ब्राह्मण शब्द से पुकारा गया है। उनके अनुसार गुर्जर भारतीय थे और राजपूताना के किसी हिस्से में निवास करते थे।

गुर्जर प्रतिहारों को भारतीय सिद्ध करने के लिए यह भी कहा जा सकता है कि प्रतिहार शब्द शासक का सूचक है और गुर्जर शब्द ‘क्षेत्र का’ अर्थात गुर्जर प्रतिहार से तात्पर्य गुर्जर प्रतिहार के शासक से हैं। के एमद् मुंशी ने सिद्ध किया है कि गुर्जर शब्द स्थानवाचक है जाति वाचक नहीं।

राजपूतों के विदेशी उत्पत्ति के सिद्धान्तों की समीक्षा कीजिए।

ग्वालियर अभिलेख के अनुसार इस वंश का अभ्युदय राम के भाई लक्ष्मण से हुआ। गुर्जरों की बोली, मेवाती बोली से घनिष्ठता से सम्बन्धित है। प्रतिहारों की भारतीय उत्पत्ति के सिद्धान्त के समर्थन में | अनेक विद्वानों ने अपने मत प्रतिपादित किये हैं जो कि सत्य प्रतीत होते हैं। अतः गुर्जर प्रतिहारों को भारतीय उत्पत्ति मानना उचित प्रतीत होता है।

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