गुर्जर प्रतिहार वंश के इतिहास
गुर्जर प्रतिहार वंश मिहिरभोज के ग्वालियर अभिलेख जो कि एक प्रशस्ति के रूप में है, इस वंश के शासकों की वंशावली और राजनैतिक उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत करता है। मिहिरभोज के अतिरिक्त अन्य कई शासकों के भी अभिलेख प्राप्त हुए है। प्रतिहारों के समकालीन राष्ट्रकूट और पाल नरेशों के अभिलेख से भी इस वंश के विषय में जानकारी मिलती है। त्रिकोणात्मक संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के कारण समकालीन शासकों ने सम्बन्धित घटनाओं का उल्लेख प्रतिहारों के साथ किया है।
संस्कृत भाषा का प्रकाण्ड विद्वान राजशेखर को प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल और उसके पुत्र महिपाल ने राज्याश्रय प्रदान किया। राजशेखर की कृतियां तत्कालीन सामाजिक एवं राजनैतिक जानकारी के महत्वपूर्ण श्रोत है। काश्मीरी कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगणि से भी इस प्रतिहार वंश के शासक मिहिरभोज के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है। पृथ्वीराज विजय के रचनाकार जयानक भट्ट के विवरण के अनुसार चाहमान प्रारम्भ में गुर्जर प्रतिहारों के सामन्त थे और वत्सराज प्रतिहार के सामन्त के रूप में दुर्लभराज ने पालों के विरुद्ध युद्ध किया था।
धर्म से आपका क्या अभिप्राय है?
सुलेमान और अलमसूदी जैसे अरबी लेखकों ने भी अपने समकालीन प्रतिहार शासकों का उल्लेख किया है। सुलेमान मिहिर भोज की शक्ति और समृद्धि की प्रशंसा करता है तो अलमसूदी महिपाल प्रथम के सम्बन्ध में सूचनाएं देता है।
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