गुप्त कौन थे? इस विषय में विद्वानों में मतदभेद है।शूद्र मानते हैं उनका तर्क है कि चूंकि गुप्तों के लिच्छवियों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध थे और लिच्छवियों के लिए म्लेच्छ शब्द का प्रयोग हुआ है, अतः गुप्त भी शूद्र रहे होंगे। परन्तु अन्य विद्वान डॉ. जायसवाल के मत से सहमत नहीं है। एलेन, अल्तेकर तथा डॉ. प्रायंकर आदि विद्वान गुप्तों को वैश्य मानते हैं। इन्होंने अपने तर्क के समर्थन में वायु पुराण का सहारा लिया है जिसमें वैश्यों की उपाधि गुप्ता भूति बतायी गई है। डॉ. राय चौधरी गुप्तों को ब्राह्मण मानते हैं। पण्डित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा आदि गुप्तों को क्षत्रिय जाति का स्वीकार करते हैं।
लगश का गुडिया” के विषय में आप क्या जानते हैं?
इस प्रकार इस विषय पर विद्वानों में मतभेद है। गुप्त साम्राज्य उतना विशाल तो नहीं था जितना मौर्य साम्राज्य फिर भी इसने सारे उत्तर भारत को 335 ई. से 455 ई. तक एक सदी से ऊपर राजनैतिक एकता के सूत्र में बाँधे रखा। ईसा की तीसरी सदी के अन्त में गुप्त वंश का आरम्भिक राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में था।