गोखले प्रस्ताय – गोखले भारत में प्राथमिक शिक्षा की दयनीय दशा से अत्यन व्यथित थे। उनका विचार था कि अशिक्षित व अज्ञान राष्ट्र कभी भी सही उन्नति नहीं कर सकता है, तथा वह जीवन की दौड़ में पिछड़ जाता है। गोखले ने 19 मार्च सन् 1910 को शिक्षा सन्दर्भ में अपना प्रस्ताव निम्न शब्दों में रखा यह सभी संस्तुति करती है कि समस्त राष्ट्र में प्रारम्भिक शिक्षा को निःशुल्क तथा अनिवार्य बनाने की दिशा में प्रयास प्रारम्भ किया जाय तथा सरकारी व गैर सरकारी अधिकारियों का एक संयुक्त आयोग इस सम्बन्ध में निश्चित प्रस्ताव तैयार करने के लिए शीघ्र ही नियुक्त किया जाय।” लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई भी सक्रिय कदम नहीं उठाया। तब गोखले ने 16 मार्च, 1911 को केन्द्रीय धारा सभा में अपना प्रसिद्ध विधेयक प्रस्तुत किया जिसका उद्देश्य देश की प्रारम्भिक शिक्षा प्रणाली अनिवार्यता के सिद्धान्त को लागू करना है।”
“गोविन्द चन्द्र गहड़वाल वंश का सर्वाधिक योग्य शासक था।” व्याख्या कीजिए।
गोखले बिल 1910 की मुख्य सिफारिशें निम्नवत् थीं.
- भारत में प्राथमिक शिक्षा की दिशा में पहल करने का समय आ गया।
- विधेयक के प्रावधान केवल नगर पालिकाओं अथवा जिला परिषदों के द्वारा घोषित क्षेत्रों में लागू होगे।
- प्रारम्भ में यह लड़कों के लिए बाद में लड़कियों के लिए भी लागू कर सकती है।
- ‘ग्रीन का स्वतंत्रता सम्बन्धी सिद्धान्त’ की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- ‘प्रतिनिधि सरकार’ पर मिला के विचारों का वर्णन कीजिए।
- ‘भारत प्रजातियों का दावण पात्र है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए ?
- ‘शिक्षा में नूतन आयाम सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों के लिए आवश्यक है।” विवेचना कीजिए।