गहड़वाल वंश का इतिहास मुख्यतः हम अभिलेख तथा साहित्य से ज्ञात करते हैं। इस वंश के प्रमुख लेखों का विवरण इस प्रकार है
- चन्द्रदेव का चन्द्रावली (वाराणसी) दानपत्र |
- मदनपाल के राहन तथा बसही अभिलेख
- गोविन्दचन्द्र के वाराणसी तथा कमौली के ताम्रपत्राभिलेख
- गोविन्द्रचन्द्र का तार (देवरिया) से प्राप्त अभिलेख
- कुमारदेवी का सारनाथ अभिलेख
उपर्युक्त लेखों के अतिरिक्त कुछ अन्य लेख भी मिलते हैं। ये अधिकतर दानपरक हैं तथा इनसे (राजनैतिक महत्व की बहुत कम बाते ज्ञात हो पाती हैं। समकालीन साहित्यिक कृतियाँ भी इस वंश के इतिहास पर कुछ प्रकाश की है। इनमें सर्वप्रमुख चन्दबरदाई का पृथ्वीराजरासो है जो गहवाल शासक
जयचन्द्र तथा चाहमान शासक पृथ्वीराज तृतीय के सम्बन्धों पर प्रकाश डालता है किन्तु इसका विवरण अधिकांशतः अनैतिहासिक तथा काल्पनिक है। मेरुतुंग द्वारा रचित प्रबन्ध-चिन्तामणि में भी जयचन्द्र के विषय में कुछ सुचनायें दी गयी हैं। गोविन्दचन्द्र का मन्त्री लक्ष्मीधर राजनीतिशास्त्र का प्रकाण्ड पण्डित था जिसने ‘कृत्यकल्पतरू’ नामक ग्रन्थ की रचना की थी। इससे तत्कलीन राजनीति, समाज तथा संस्कृति पर सुन्दर प्रकाश पड़ता है।
हिन्दू विवाह का अर्थ एवं परिभाषा का उल्लेख कीजिए।
मुसलमान लेखकों के विवरण से गहड़वाल तथा मुसलमानों के बीच संघर्ष का ज्ञान होता है। फरिश्ता जयचन्द्र की सैनिक शक्ति का विवरण देता है। हसन निजाम के विवरण से जयचन्द्र तथा मुहम्मद गौरी के बीच होने वाले संघर्ष तथा मुहम्मद गौरी के विजय की सूचना मिलती है। इन सभी साक्ष्यों के आधार पर गहड़वाल वंश के इतिहास का वर्णन किया जायेगा।
- ह्वेनसांग पर टिप्पणी लिखये।
- ह्वेनसांग के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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- हॉब्स, लॉक, रूसो के सामाजिक समझौते के सिद्धान्त की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
- हॉब्स के सम्प्रभुता के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- हॉब्स के शासन और कानून सम्बन्धी विचार को लिखिए।
- हॉब्स के मानव स्वभाव सम्बन्धी विचार बतायें।