एक्वीनाश के न्याय सम्बन्धी विचार – इविंग के अनुसार, “एक्वीनास ने न्याय की परिभाषा करने में रोमन विधिशास्त्रियों का अनुसरण किया है और कहा है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को उसके अपने अधिकार प्रदान करने का निश्चित तथा सनातन इच्छा है।” रोमन विधिशास्त्रियों के इस मत को स्वीकार करते हुए भी उसने अरस्तू के इस मत को भी स्वीकार किया कि न्याय का मौलिक तत्व समानता है जो प्राकृतिक और मानवीय आधार पर निर्धारित की जाती है
नीति निदेशक सिद्धान्तों का वर्गीकरण ।
दासता सम्बन्धी विचार- एक्वोनास दासता को न तो अरस्तू की तरह प्राकृतिक मानता है और न सन्त ऑगस्टाइन के अनुसार पाप का दैवी दण्ड। उसने दासता का औचित्य सिद्ध करने के लिए एक नया आधार ढूंढ निकाला है। दासता के सम्बन्ध में उसका कथन है कि यह एक लाभदायक व्यवस्था है जो सैनिकों में वीरता का संचार करती है। ये युद्ध क्षेत्र में हार जाने पर दास बनाये जाने के भय से वीरतापूर्वक लड़ते हैं और विजय प्राप्त करने की भरसक चेष्टा करते है।