एकीकरण के सम्मुख कारकों को लिखिए।

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एकीकरण के सम्मुख कारक

( 1 ) समूह का आकार

समूह का आकार जितना छोटा होगा, एकीकरण की प्रक्रिया के विकसित होने की सम्भावना भी उतनी ही अधिक होगी। कारण यह है कि छोटे आकार के समूह में सदस्य एक-दूसरे के दृष्टिकोणों और भावनाओं को अधिक अच्छी तरह समझकर अपने को संगठित रख सकते हैं। यही कारण है कि द्वितीय समूहों की अपेक्षा प्राथमिक समूहों में एकीकरण की प्रक्रिया अधिक प्रभावपूर्ण होती है।

( 2 ) समरूपता

समरूपता का तात्पर्य जैविकीय और मानसिक समानता से है। जैविकीय रूप से, यदि एक समूह के सदस्यों में विभिन्नता पायी जाती हो, अर्थात् वे विभिन्न प्रजातियों अथवा विभिन्न रक्त के हों, तब एकीकरण की प्रक्रिया में कुछ बाधा उत्पन्न होती है। यद्यपि संगठित प्रत्यनों के द्वारा इसको दूर भी किया जा सकता है। मानसिक समरूपता का अर्थ है कि सदस्यों के विचारों, उद्देश्यों, भावनाओं और मनोवृत्तियों में समानता होना। इस प्रकार की समानता एकीकरण की प्रक्रिया का एक सहायक तत्व है। इसका अर्थ यह नहीं है कि समरूपता ही एकीकरण है, लेकिन इतना अवश्य है कि यह विशेषता एकीकरण की सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि सदस्यों के हितों में संघर्ष होने से निश्चय ही एकीकरण की प्रक्रिया में बाघा पहुँचती है।

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(3) स्थानीय गतिशीलता

स्थानीय गतिशीलता का अर्थ व्यक्तियों द्वारा एक सांस्कृतिक क्षेत्र को छोड़कर दूसरे सांस्कृतिक क्षेत्र में जाना है। स्पष्ट है कि गतिशीलता की प्रवृत्ति बढ़ने से व्यक्तियों को नये क्षेत्र के सामाजिक मूल्यों और मनोवृत्तियों से अनुकूलन करना आवश्यक हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न समूहों और व्यक्तियों के बीच के अन्तर कम अथवा समाप्त होने लगते हैं और इस प्रकार एकीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिलता है।

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