Sociology

एकीकरण का अर्थ, घटक एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

एकीकरण का अर्थ

एकीकरण का अर्थ – ‘एकीकरण’, अनेक अलग-अलग संघटकों का एक इकाई में इकट्ठा या एकीकृत होने की एक प्रक्रिया है। अतएव, एकीकरण सदस्यों को एक साथ रहने के लिए इकट्ठा करता एवं साथ-साथ लाता है और सदस्यों को एक समूह में रहने को विवश करता है। इस भाँति, एकीकरण एक समूह को स्थायित्व प्रदान करता है। यह संगठन की एक प्रक्रिया के रूप में कार्य करता है। यह सामाजिक एकाकीपन, अलगाव तथा बिखराव की प्रक्रिया के विपरीत होता है। सामूहिक एकीकरण समूह के परस्पर मिलकर रहने अथवा सामूहिक अखंडता व एकता से सम्बन्ध रखता है।

एकीकरण एक सामूहिक प्रक्रिया है। यह मुख्य रूप से उन लोगों से सम्बोधित होती है जो समूहों में रहते हैं या अन्य समूहों की उपस्थिति में रहते हैं। अतएव समूहों के बनाने की आवश्यकताओं और तरीकों को समझना महत्वपूर्ण है। इस जानकारी से हमें इन समूहों में लगाव के माप और विस्तार को समझने में सहायता मिलेगी।

समूह अलग-अलग सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए बनाए जाते हैं। एक समूह अपने सदस्यों को सदस्यता एवं सुरक्षा प्रदान करता है और इस प्रकार यह एक समूह विशेष में परस्पर अपनेपन की भावना पैदा करने में सहायक होता है। इसे एक गणनापरक अर्थात् सांख्यिकीय श्रेणी में परिभाषित किया जा सकता है। समूह का दूसरा प्रकार सामाजिक श्रेणी है। यह उन लोगों से सम्बन्ध रखती हैं, जिनकी समान प्रस्थिति होती है तथा उसी भूमिका का निर्वाह वे करते हैं। एक सामाजिक समूह सामाजिक अन्तर्क्रिया, परस्पर विश्वासों और नैतिक मूल्यों द्वारा पहचाना जाता है। सामाजिक समूह के उदाहरण परिवार, संबंधी समूह, गाँव और जाति समुदाय आदि होते हैं।

सदस्यों को एक साथ रखने और समूह की अखंडता बनाए रखने के लिए एकीकरण एक संयोजन शक्ति का काम करती है। समूह का स्थायित्व एकीकरण पर आधारित होता है। यह वह प्रक्रिया है, जो सदस्यों को एक समूह में एकजुट रहने को विवश करती है। एकीकरण सभी सदस्यों को एक समूह में जोड़े रहने और उन्हें एक इकाई में रखने की प्रक्रिया है।

समूह के एकीकरण का सम्बन्ध, विभिन्न स्तरों पर समूहों के सदस्यों के बीच सामाजिक सम्बन्धशीलता से होता है। यह सामाजिक सम्बन्धशीलता मात्रा और तीव्रता में भिन्न भिन्न और इन्हें उच्च स्तर पर एकीकृत, कहा जा सकता है।

विभिन्न समूहों में एकीकरण के स्तरों को परिवार, वंश, गाँव, संगी-साथी, जाति, वर्ग, धर्म, क्षेत्र, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों में विभाजित किया जा सकता है। इन सभी स्तरों में परिवार को उच्च स्तरीय एकीकृत कहा जा सकता है जबकि अन्य समूहों में एकीकरण का सामाजिक-आर्थिक स्तर ‘मुक्त रूप से एकीकृत’ कहा जाएगा। यह विभिन्न समूहों की भिन्न-भिन्न स्थिति और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। राष्ट्रीय आपदा और विदेशी आक्रमण के समय एकीकरण राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ऊंचा होता है, जिसमें राष्ट्रीय अखंडता और एकता प्रदर्शित होती है। प्रस्थिति क्षेत्रीय, जातीय, तथा सामाजिक-सांस्कृतिक स्तरों पर भी धार्मिक होती है।

एकीकरण के घटक

एकीकरण निम्नलिखित घटकों से बनता है:

  1. समान गुणों का होना, श्रम के विभाजन, परस्पर सम्बन्धों तथा अन्तर्निर्भरता के परिणामस्वरूप समूह की अखंडता में सुदृढ़ता लाता है।
  2. समूह द्वारा निर्धारित मानकों को अपनाया तथा पालन करना, जोड़ने वाला तत्व होता है।
  3. समूह में सामाजिक नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए ‘वैचारिक केन्द्रीकरण’ (ईथनोसेट्रिज्म) अथवा एक समूह के सदस्यों के बीच अपनी संस्कृति को अधिमान्यता देना प्रकार्यात्मक होता है।
  4. राज्यों के बीच अनुशासन समूह को जोड़ता है। एक समूह के एकीकरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में अन्तर्निर्भरता, क्रिया, मतैक्य पाया जाता हैं। समूह का परस्पर वेलजोल तथा एकीकरण आपसी संतुष्टि द्वारा मजबूत होता है, पात्र सामाजिक अन्तर्क्रिया द्वारा ही नहीं।

एकीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व:

  1. समूह का आकार एक बड़े समूह की अपेक्षा छोटे समूहों में एकीकरण अधिक आसान होता है।
  2. प्राथमिक समूहों में एकीकरण की अधिक शक्ति या क्षमता होती है।

भौतिक अस्थिरता और समूह के बीच सम्बन्धों की समरूपता एवं एकीकरण के बीच मीधा सम्बन्ध देखा जा सकता है। अस्थिरता के फलस्वरूप एक परदेशी और नया व्यक्ति समूह में प्रवेश करता है तो समस्या यह आती है कि समूह की अखंडता को खतरे में डाले बिना उसे कैसे आत्मसात किया जाए। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि नवागंतुकों का समूह जितना बड़ा होगा उतना ही ज्यादा स्थापित समूह के द्वारा उनके एकीकरण में प्रतिरोध होगा।

भारत में परिवर्तन एवं रूपान्तरण के प्रमुख उपागमों की व्याख्या कीजिए।

एकीकरण की विशेषताएँ:

  1. परसंस्कृतिकरण और आत्मसातकरण की अपेक्षा एकीकरण एक जटिल और पेचीदी प्रक्रिया है।
  2. यह पेचीदा इसलिए है क्योंकि इसमें संलग्न समूहों के लिए पर्याप्त संरचनात्मक समायोजनों की आवश्यकता होती है।
  3. एक ही समुदाय में परिवर्तन असमान होता है कुछ समूह अपने परम्परागत मूल्यों को बनाये रखते हैं तो कुछ नये रीतिरिवाजों को अपना लेते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि सभी समूह उस समुदाय से पूरी तरह एकीकृत नहीं हो पाते हैं।
  4. एकीकरण का सम्बन्ध प्रमुख संस्कृति के साथ विभिन्न सांस्कृतिक घटकों को मिलाने की प्रक्रिया से होता है। मिलने वाली (संघटक) संस्कृतियाँ अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रहती हैं और साथ ही जिस संस्कृति में उनका एकीकरण होता है, उसकी सामान्य संस्कृति के कुछ पहलुओं से तालमेल कर लेती है।

About the author

pppatel407@gmail.com

Leave a Comment