एक अच्छे निर्देशन संगठन की विशेषताएं
(1 ) समस्त व्यक्तियों को निर्देशन सेवायें प्राप्त होनी चाहिये भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। अतः इस देश में प्रत्येक छात्र को निर्देशन प्राप्त करने का अधिकार है साधारणतः आजकल विद्यालयों में शिक्षण शान्त अथवा विचारों में लीन रहने वाले विद्यार्थियों पर कोई ध्यान नहीं देते। वरन् शिक्षकों का ध्यान, अनुशासनहीनता बालकों अथवा ऐसे बालक जो विद्यालय छोड़कर चले जाते हैं। उन पर ही अधिक रहता है, जो कि अनुचित है। अतः निर्देशन प्रदाताओं एवं शिक्षकों को प्रत्येक बालक पर ध्यान देना चाहिए।
(2) सेवार्थी केन्द्रित एक अच्छे निर्देशन संगठन की द्वितीय महत्वपूर्ण विशेषता है निर्देशन कार्यक्रम का सेवार्थी केन्द्रित होना। जिस प्रकार आज बाल केन्द्रित शिक्षा पर अत्याधिक बल दिया जा रहा है, उसी प्रकार निर्देशन कार्यक्रम के अन्तर्गत, सेवार्थी अथवा छात्र पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिये। सेवार्थी को अपनी योजनाओं की उन्नति एवं सफलता अर्जित करने में, सेवार्थी की सहायता करना ही निर्देशन कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य है।
( 3 ) व्यक्ति की क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास करने में सहायक व्यक्ति की क्षमताओं का विकास इस प्रकार किया जाये, जो कि समाज हेतु अधिकाधिक लाभायक हो । विद्यार्थी, समाज का ही अंग होता हैं। शिक्षा का उद्देश्य बालक को एक सामाजिक प्रणाली बनाना होता है। अतः बालक को एक योग्य नागरिक बनाकर उसको समाजोपयोगी सदस्य बनाने में, निर्देशन कार्यक्रम अधिकाधिक सहायक होने चाहिए।
(4) सेवार्थी को ही अन्तिम निर्णय लेने हेतु अवसर प्रदान करना- निर्देशन कार्यक्रम में सेवार्थी को ही अन्तिम निर्णय लेते हुए अवसर प्रदान किया जाना चाहिये। चूँकि हमारा देश प्रजातांत्रिक देश है। अतः प्रजातान्त्रिक देश में निर्देशन कार्यक्रम के अन्तर्गत, निर्देशन प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाने हेतु यह अत्यन्त आवश्यक है कि सेवार्थी को अन्तिम निर्णय लेने हेतु स्वतंत्र छोड़ दिया जाये।
( 5 ) निर्देशन कर्मचारियों का चयन, उनके अनुभव, प्रशिक्षण एवं योग्यता के आधार पर ही किया जाना चाहिये निर्देशन कार्यक्रम के अन्तर्गत समस्त कार्य शिक्षकों द्वारा पूर्ण नहीं किया जा सकता है अतः विभिन्न कार्यों हेतु छात्रों को निर्देशन देने के लिये विशिष्ट योग्यता अर्जित व्यक्तियों अर्थात् विशेषज्ञों को ही नियुक्त किया जाना चाहिये। निर्देशन कर्मचारी विभिन्न क्षेत्र के होने चाहिए।
(6) विभिन्न विधियों का उपयोग निर्देशन कार्यक्रम के अन्तर्गत, निर्देशन कर्मचारियों को, निर्देशन प्रदान करते समय विभिनन विधियों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि एक विधि के द्वारा छात्रों के बारे में विश्वासनीय सूचनायें प्राप्त नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि एक योग्य एवं कुशल निर्देशन प्रदाता अलग-अलग व्यक्तियों के लिये भित्र-भित्र विधियों को विभिन्न समय एवं परिस्थितियों में प्रयुक्त करता है।
(7) निर्देशन कार्यकर्त्ताओं को अपनी योग्यता एवं ज्ञान में वृद्धि करने हेतु अवसर खोजने चाहिये निर्देशन के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष अनेक नवीन विधियों की खोज की जाती है। तथा कुछ प्रचलित विधियों में परिवर्तन किये जाते है। मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में भी प्रतिवर्ष हुए अनुसंधान कार्य के आधार पर नवीन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जाता है तथा नवीन परीक्षणों का निर्माण होता है। इन समस्त बातों का ज्ञान निर्देशन कर्मचारियों को होना आवश्यक है।
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(8) विद्यालयों के समस्त कर्मचारियों को अपनी योग्यता के अनुसार निर्देशन के उत्तरदायित्वों का आवंटन करना चाहिये प्रत्येक विद्यालय में समस्त कर्मचारी किसी न किसी रूप में निर्देशन कार्य करते हैं, चाहे निर्देशन कार्य विचारपूर्वक किया जाय अथवा नहीं। अनेक शिक्षक विद्यार्थियों को सुझाव देकर ही निर्देशन कार्य को पूर्ण करते हैं। लेकिन समस्त कर्मचारियों को एक कुशल एवं योग्य निर्देशन प्रदाता बनने हेतु प्रयास करने चाहिये। व्यवस्थित निर्देशन का उत्तरदायित्व मात्र अनुभवों एवं प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्तियों को ही प्रदान किया जाना चाहिये तथा विद्यालय के प्रधानाचार्य को, इस कार्यक्रम को समुचित व्यवस्था करने हेतु अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करना चाहिये।
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