ईस्ट इण्डिया कम्पनी की शैक्षिक योगदान बताइये।

ईस्ट इण्डिया कम्पनी मूलतः एक व्यापारिक संस्था थी जो भारत में धन कमाने आई थी न कि शासन करने के लिए परिस्थितिवश ही यह भारत की शासिका बन गयी थी अतः उसका कार्य उस समय को शिक्षित करना ही नहीं था, जिसके सर्वस्व हरण करने का उद्देश्य लेकर यह आयी थी। परन्तु भारतीय जनता अंग्रेजों की भाषा नहीं समझती थी तथा अंग्रेज भारतीयों की भाषा नहीं समझते थे जिससे कम्पनी को अपना कार्य चलाना अत्यन्त कठिन प्रतीत होता था। कम्पनी के कर्मचारी महसूस करते थे कि स्थानीय निवासियों के साथ मुक्त व प्रत्यक्ष सम्पर्क तथा बातचीत करना अत्यन्त उपयोगी तथा आवश्यक है। क्योंकि अंग्रेज अपनी भाषा को श्रेष्ठ तथा भारतीय भाषाओं को निकृष्ट समझते थे, इसलिए वे भारतीय भाषा नहीं सीखना चाहते थे। ऐसी स्थिति में भारतीयों को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्रदान करना ही उन्हें सबसे सरल व प्रभावशाली उपाय प्रतीत हुआ। अपने इस स्वार्थ के लिए इस्टइण्डिया कम्पनी ने शिक्षा प्रसार में ईसाई मिशनरियों की सहायता ली थी।

प्रौढ़-शिक्षा के प्रमुख साधनों को स्पष्ट कीजिए।

ईसाई मिशनरियों ने धर्म प्रचार करने के लिए भी शिक्षा का सहारा लिया। इसके लिए उन्होंने अनेक स्कूलों की स्थापना की, जो कि भारत में शिक्षा के आधुनिक रूप का श्रीगणेश था। परन्तु कुछ परोपकारी लोगों के प्रयासों के अलावा आधिकारिक रूप में कोई भी सार्थक प्रयास नहीं किया गया तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत में जनसामान्य की शिक्षा के प्रति लगभग उदासीन ही रही।

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