ई-लर्निंग का अर्थ
ई-लर्निंग का क्षेत्र विस्तृत है, इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रयोग व प्रकियाएँ आती हैं। ई लर्निंग के अन्तर्गत, अधिगम उद्देश्य से विभिन्न स्रोतों द्वारा सामग्री या पाठ्यवस्तु को विभिन्न संचार प्रणालियों को माध्यम से वितरित किया जाता है। यह एक प्रकार से उन विद्यार्थियों के लिए सतत् शिक्षा प्रणाली है जो औपचारिक विधियों द्वारा शिक्षा प्राप्त करने से वंचित हो जाते हैं।
ई-लर्निंग स्पष्ट रूप से, अधिगम की वह प्रक्रिया है, जिसमें सूचना या सामग्री के वितरण के लिए एक साथ नेटवर्क (Network), अंतर्क्रिया (Interaction) तथा सुविधा (falicitation) का प्रयोग किया जाता है। केनेट (Kenet) के अनुसार, “ई-लर्निंग एक प्रभावशाली शिक्षण अधिगम प्रक्रिया है, जिसकी रचना ई-डिजिटल शिक्षण सामग्री, स्थानीय समुदाय, ट्यूटर तथा वैश्विक समुदाय की सहायता व सम्पर्क द्वारा संयुक्त रूप से होती है”।
इस प्रकार ई-लर्निंग शिक्षा और प्रौद्योगिकी का मिश्रण है। ई-लर्निंग को अन्य नामों पर भी जाना जाता है जैसे, डिस्ट्रीव्यूट लर्निंग (Distributed Learning), डिस्टेंस लर्निंग (Distance Learning). टेक्नोलॉजी एनेबल्ड लर्निंग (Technology Enabled Learning) तथा आन-लाइन लर्निंग (On-line-learning) आदि।
ई-लर्निंग की विधियां (Modes of E-learning)
ई-लर्निंग की विधियों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है
1.समकालिक (Synchronous) –
इस विधि में कक्षाएँ वास्तविक या निश्चित समय पर एक साथ चलाई जाती है। कक्षाएँ निर्देशन व प्रशिक्षण आधारित होती हैं। विद्यार्थियों/अधिगमकर्ताओं से सम्पर्क चैट रूम (Chat Room) के द्वारा होता है।
2.विषमकालिक (Asynchronous) –
इस विधि में विद्यार्थी/ अभिगमकर्ता को प्रशिक्षण। के लिए पहले से तैयार पैकेज (Pre-packeged Training) उनकी आवश्यकता और सुविधानुसार उपलब्ध कराये जाते हैं।
ई-लर्निंग के विभिन्न घटक
शिंतारों (Shintaro) के अनुसार ई-लर्निंग के प्रमुख घटक निम्न प्रकार हैं-
1. सामग्री वितरण की विधियाँ (Content Delivery Method) – पारम्परिक अधिगम प्रणाली में शिक्षण सामग्री पाठ (Text) के रूप में होती है, लेकिन ई-लर्निंग सामग्री में पाठ (Text) के साथ-साथ श्रव्य दृश्य सामग्रियाँ भी उपलब्ध कराई जाती हैं। व्यक्तिगत रूप से अधिगमकर्ता के स्तर और प्रगति के आधार पर सामग्री का अनुकूलन (Adjustment) और आपूर्ति की जाती है। ई-लर्निंग की प्रक्रिया की दूसरी पीढ़ी की तीन विधियाँ हैं—
- (i) लाइव ब्रॉडकास्टिंग (Live Broadcasting)-टेलीविजन के समान ही ई-लर्निंग द्विमार्गी प्रणाली (Two Way System) की तरह कार्य कर सकती है। अधिगमकर्ता को परीक्षा देने, प्रश्न पूछने, प्रश्नावली के उत्तर देने (Respond to Questionaires) की छूट मिलती है।
- (ii) वीडियो आन डिमांड (VOD)- यह तकनीकी केबिल टेलीविजन (CATV) प्रणाली के द्वारा प्रस्तुत की जाती है। अधिगमकर्ताओं का एक बड़ा समूह वीडियों सामग्रियों को प्राप्त कर सकता है। यह लाइव ब्रॉडकास्टिंग की तरह ही द्विमार्गी प्रणाली की तरह कार्य करती है।
2. अंतर्क्रियात्मक सम्प्रेषण (Interactive Communication)-इस प्रकार की ई-लर्निंग में तकनीकी को द्वि-मार्गी क्षमता (Two-way Capabilites) का प्रयोग ही होता है। इस विधि के दो उपागम (Approaches) हैं—
दूरस्थ शिक्षा तथा सामुदायिक उपागम
दूरस्थ शिक्षा उपागम में प्रशिक्षक तथा विद्यार्थी अलग-अलग स्थानों पर रहते हुए ब्लैकबोर्ड की तरह शेयर फाइल (Shared File) का प्रयोग करते हुए अंतर्क्रिया करते हैं। भी जबकि सामुदायिक उपागम में प्रशिक्षक ही पूरी आभासी कक्षा (virtual class) का केन्द्र बिन्दु होता है। लेकिन इस विधि में संभव होता है कि विद्यार्थी विशेष विषयों पर विशेषज्ञों से परामर्श ले सकते हैं तथा परिचर्चा कर सकते है।
3. लिखने या निर्माण के उपकरण
ये तैयार किए गये सॉफ्टवेयर (Software products) हैं। ये वे उपकरण हैं जिनका प्रयोग शिक्षण सामग्री के निर्माण के लिए किया जाता है।
4. अधिगम प्रबन्धन प्रणाली
प्रारम्भ से ही ई-लर्निंग का सबसे प्रमुख घटक ‘अधिगम प्रबन्धन प्रणाली’ रहा है। इस प्रणाली के अंतर्गत विद्यार्थी, मैनेजर तथा ऑपरेटर को यह सुविधा मिलती है कि वह अपनी व्यक्तिगत प्रगति तथा निष्पादन क्षमता (Performance) को जान सके और उसका मूल्यांकन भी कर सकें।
ई-लर्निंग में हमेशा यह प्रयास रहता है, कि व्यक्तिगत अधिगम आवश्यकताओं (Indi vidual Learning Needs) की पूर्ति सुविधा के लिए बहुत ही सूक्ष्म रूप से तैयार निर्देशों (Fine-tuned Instructions) का निर्माण किया जाय। इस प्रकार ई- लर्निंग में निम्न क्षमताएँ पाई जाती हैं
पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए
- (i) वास्तविक समय में निर्देश व प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की क्षमता (Ability to Provide Instructions in Real Time)
- (ii) एक साथ विशाल जनसंख्या को निर्देश देने व प्रशिक्षित करने की क्षमता (Ability to Provide Instructions to Large Number of People Symltaneously) I
ई-लर्निंग के विस्तृत व विशाल कार्य क्षेत्र में प्रयोग व प्रक्रिया का सम्पादन और संचालन करने में विभिन्न विशेषज्ञों (Professionals) का सहयोग होता है। जैसे कि, निर्देश तैयार करने वाले (Instructional Designers) कोर्स लिखने वाले (Course Writers) यह सामग्री तैयार करने वाले (Content Creators), पुनरीक्षण करने वाले (Reviewers) ग्राफिक डिजाइनर (Graphic Designers), ज्ञान या सूचना को संगठित करने वाले (Knowledge Organisers) या लाइब्रेरी व सूचना सम्बन्धी विशेष (Liberary and Information Professionals) आदि।
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