दिल्ली सल्तनत के पतन के लिए मुहम्मद बिन तुगलक किस प्रकार उत्तरदायी था?

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दिल्ली सल्तनत के पतन के लिए मुहम्मद बिन तुगलक

मुहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल में अनेक योजनाएं क्रियान्वित की जिसमें से अधिकांश में उसे असफलता हाथ लगी। उसकी नीतियों से न केवल जनता को भयंकर कष्ट उठाना पड़ा बल्कि सरकारी राजकोष भी खाली हो गया। उसकी राजधानी परिवर्तन की योजना, दोआब में कर वृद्धि का निर्णय, सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन ऐसी ही योजनायें थीं जो पूर्णता असफल रही। उसकी इसी नीति से जनता को अपार कष्ट झेलना पड़ा और राज्य की आर्थिक स्थिति भी डावाडोल हो गयी। ऐसी स्थिति में साम्राज्य के कई प्रान्त स्वतन्त्र हो गये और साम्राज्य शक्तिहीन होने लगा।

ऐसी स्थिति में विदेशी आक्रमणकारियों को अवसर प्राप्त हुआ और उन्होंने भारत पर आक्रमण किये। 1398 ई. में तैमूरलंग ने भारत पर आक्रमण कर उसे शक्तिहीन बना दिया उसी से प्रेरित होकर सन् 1526 ई. में मुगल शासक बाबर ने भारत पर आक्रमण कर इब्राहीम लोदी की सत्ता का न केवल अन्त किया बल्कि सल्तनत काल को भी समाप्त कर दिया।

चाहमान (चौहान) वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि मुहम्मद बिन तुगलक की नीतियाँ सनतकाल के पतन के लिए उत्तरदायी थी क्योंकि यदि मुहम्मद बिन तुगलक की नीतियों से तुगलक साम्राज्य कमजोर न हुआ होता तो तैमूर कदापि भारत पर आक्रमण करने की हिम्मत न करता और बाद में बाबर भी भारत पर आक्रमण का साहस न कर पाता। अतः मुहम्मद बिन तुगलक सल्तनत काल के पतन के लिए उत्तरदायी कहलाया जायेगा।

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