Medieval History

दिल्ली सल्तलन की शासन व्यवस्था ।

दिल्ली सल्तलन की शासन व्यवस्था – सल्तनत कालीन केन्द्रीय प्रशासन का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है

(क) सुल्तान- सुल्तान यद्यपि खलीफा के नायब के नाम पर शासन करता था लेकिन प्रशासन की सम्पूर्ण शक्ति सुल्तान के ही हाथों में होती थी और वही साम्राज्य का सर्वेसर्वा होता था।

(ख) नायब- सुल्तान के बाद नायब का पद था यह सुल्तान के समकक्ष था।

(ग) वजीर- यह साम्राज्य का प्रधान मंत्री होता था। यह वास्तव में सुल्तान और जनता के मध्य कड़ी था। मुख्य रूप से वजीर राजस्व विभाग को सम्भालना था लेकिन वह सुल्तान को किसी भी मसले में सलाह दे सकता था।

(घ) आरिज-ए-मुमालिक यह दीवान-ए-अर्ज का प्रमुख था और सैन्य संचालन का कार्य करता था।

(ङ) दीवान-ए-रिसालत विदेशी राज्यों से मधुर सम्बन्ध बनाये रखने, सुल्तान की विदेशी राजनायिकों से वार्ता, विदेशियों की देखभाल की जिम्मेदारी इस विभाग की थी।

(च) सद उस सुदूर-इस्लाम धर्म का प्रचार, प्रजा में धार्मिक आचरण की स्थापना, धार्मिक संस्थाओं को दान आदि देना इसका कार्य था।

(छ) काजी उल कुजात यह न्याय विभाग का यह सर्वोच्च अधिकारी (चीफ जस्टिस ) था इसे न्याय से सम्बन्धित समस्त अधिकार प्राप्त थे।

(ज) दीवाने इंशा यह शाही पत्र व्यवहार का विभाग था।

तराइन के प्रथम युद्ध का वर्णन कीजिए।

(ड) बरीद-ए-मुमालिक यह गुप्तचर विभाग का प्रमुख होता था इसका कार्य साम्राज्य और उसके बाहर होने वाली घटनाओं की जानकारी सुल्तान तक पहुँचाना होता था।

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