धर्म सुधार आन्दोलन क्या है

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16 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में धर्म के क्षेत्र में यूरोप में एक महत्वपूर्ण आन्दोलन हुआ। जिसके परिणामस्वरूप अनेक यूरोपीय राज्य रोमन कैथोलिक चर्च से पृथक और स्वतन्त्र हो गए। इस प्रकार यूरोप में सदियों से चली आ रही धार्मिक एकता नष्ट हो गयी और ईसाई धर्म कई सम्प्रदायों में विभक्त हो गया। इस महत्वपूर्ण आन्दोलन को धर्म सुधार आन्दोलन की संज्ञा दी जाती है।

परिभाषा फिशर के अनुसार-धर्म सुधार अथवा प्रोटेस्टेन्ट आन्दोलन की परिभाषा इस प्रकार हैं-प्रोटेस्टेन्ट धार्मिक आन्दोलन पोप की धार्मिक निरंकुशता पुरोहितों के विशेषाधिकारों व भूमध्य सागरीय जातियों के वंशानुगत असहिष्णु धर्म के विरुद्ध विद्रोह था। एक ओर इसने पुरोहितों के अधिकारों और स्वत्वों के विरुद्ध लौकिक विद्रोह का रूप धारण किया व दूसरी ओर धार्मिक पुनस्थान व ईसाई चर्च की पवित्रता व मौलिकता को पुनः स्थापित करने की चेष्टा की।”

परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?

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