Sociology

धर्म के कोई चार मौलिक लक्षण बताइये।

धर्म के कोई चार मौलिक लक्षण – धर्म के चार प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है

(1) पूजा अराधना

व्यक्ति अपने धार्मिक विश्वासों को पूजा एवं आराधना के द्वारा प्रकट रूप देता है तथा अपने इष्टदेव को प्रसन्न करने की चेष्टा करता है जिससे कि व्यक्ति का अहित ने हो। विभिन्न धर्मावलम्बी अपने-अपने ढंग से पूजा आराधना करते हैं किन्तु सबका उद्देश्य अपना कल्याण ही होता है।

(2) पवित्रता से सम्बन्ध

धर्म का पवित्रता की भावना से घनिष्ट सम्बन्ध है। दुखम ने अपनी धर्म की व्याख्या का आधार पवित्र एवं अपवित्र (अथवा साधारण) दो शब्दों को माना। आपने बताया कि धर्म का सम्बन्ध पवित्र मानी जाने वाली वस्तुओं से होता है तथा इसके साथ ही लोगों को यह निर्देश भी दिया जाता है कि वे पवित्र मानी जाने वाली वस्तुओं को अपवित्र पदार्थों से दूर रखे। इसी आधार पर तुलसी के पौधे, पीपल के पेड़ को तथा मन्दिर एवं पूजा की वस्तुओं एवं सामग्री को पवित्र माना जाता है।

(3) अलौकिक शक्ति में विश्वास

धर्म के अन्तर्गत लोग ऐसी अदृश्य अलौकिक एवं दिव्य शक्तियों में विश्वास करते हैं जो कि मानवोपरि एवं श्रेष्ठ है। यही वह शक्ति है जो कि विश्व के समस्त जीवों और पदार्थों का नियमन, निदेशन एवं नियंत्रण करती हैं। जानसन लिखते हैं एक अलौकिक शक्ति में विश्वास धर्म का सबसे प्रमुख तत्व है।

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(4) तर्क का अभाव-

धर्म का आधार विश्वास होता है न कि तर्क। इसलिए धर्म को विज्ञान से परे माना जाता है।

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