शशांक गौड़ प्रदेश अथवा बंगाल का महत्वाकांक्षी शासक था जबकि देवगुप्त मालवा का राजा था। दोनों की मैत्री का आधार थानेश्वर और कन्नोज के विरूद्ध शत्रुता पर आधारित थी। जब राज्यवर्धन हूणों से युद्ध करने के लिए अपने राज्य से बाहर या तब शशांक ने मालवा नरेश देवगुप्त के साव सन्धि करके कन्नौज नरेश और राज्यवर्धन की बहन के पति ग्रहवर्मा के राज्य कन्नौज पर आक्रमण करके उसकी हत्या कर दी। राज्यवर्धन ने मालवा के शासक देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे पराजित कर मार डाला। इस प्रकार देवगुप्त और शशांक की मित्रता का अन्त हुआ। किन्तु शशांक कन्नौज को छोड़कर राज्यवर्धन के साथ अपनी पुत्री का विवाह करने का प्रस्ताव रखा तथा छलपूर्वक भोज के अवसर पर उसका वध कर दिया। अन्ततः हर्ष वर्धन और शशांक के मध्य संघर्ष हुआ जिसमें शशांक को अपने राज्य से भागना पड़ा।
पृथ्वीराज तृतीय के विरुद्ध मुहम्मद गोरी की विजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
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