दलित से आप क्या समझते हैं?

समाज में आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक रूप से कमजोर व पिछड़े लोगों को दलित कहा जाता है। किन्तु भारतीय समाज में उच्च वर्ग की सेवा करने वाले लोगों को दलित व अस्पृश्य शब्द से सम्बोधित किया गया है। प्राचीन काल से ही यह वर्ग समाज में उच्च वर्ग की सेवा तथा सफाई सम्बन्धी कार्य करता आ रहा है। समाज के निम्न स्तर कार्य में लगे होने के कारण यह वर्ग शिक्षा धर्म तथा प्रशासन से सम्बन्धित अधिकारों से वंचित हो गया तथा आर्थिक रूप से पिछड़ गया। प्राचीन काल में इनके साथ किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया जाता था किन्तु धीरे-धीरे जातीय परम्परा व जटिलता के कारण इनके साथ भेदभाव किया जाने लगा तथा इन्हें अछूत समझा जाने लगा।

प्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ. डी. एन. मजूमदार ने दलित शब्द की व्याख्या करते हुए लिखा है कि- “अस्पृश्य जातियां वे हैं जो विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक निर्योग्यताओं से पीड़ित हैं, जिनमें से बहुत सी निर्योग्यताएं उच्च जातियों द्वारा परम्परागत रूप से निर्धारित और सामाजिक रूप से लागू की गयी है।

माण्टेसरी विद्यालय पर टिप्पणी लिखिए।

“इस प्रकार दलित वर्ग समाज का आर्थिक धार्मिक तथा राजनैतिक रूप से पिछड़ा हुआ वर्ग है। भारत में दलित वर्ग की प्रमुख जातियां चमार, पासी, भंगी, डोम, मोची, रैगर, दोसर, चुहड़ा, रजबन्सी, घियान, कोरी, पैरायां शानन् आदि हैं।”

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