व्यावसायिक निर्देशन के क्षेत्र का वर्णन विस्तार से कीजिए ।

व्यावसायिक निर्देशन के क्षेत्र – व्यावसायिक जीवन का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सर्वाधिक महत्व होता है। किसी भी व्यवसाय में रोजगार प्राप्त किए बिना अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकते हैं और आवश्यताओं की पूर्ति के अभाव में व्यक्ति का अस्तित्व कितने दिन तक रह सकता है, यह स्वतः ही विचारणीय हैं। वस्तुतः जीवन का निर्माण किसी भी व्यवसाय से प्राप्त धन पर ही प्रमुख रूप से निर्भर करता है। व्यक्ति के रहन-सहन के स्तर, कार्य की गति एवं समाज के सम्बन्धित कार्यों पर किसी न किसी रूप में धनोपार्जन के स्रोत एवं प्राप्त धन की मात्रा का प्रभाव पड़ता ही है। संक्षेप में कहा जाए तो जीवन और धन, जीवन के स्वरूप व व्यवसाय का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में गहन सम्बन्ध होता है। यहाँ पर तीन प्रत्ययों को स्पष्ट किया जाता है

  1. व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Education)
  2. व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance)
  3. शिक्षा का व्यावसायीकरण (Vocationali Zation of Education)

व्यावसायिक निर्देश के उद्देश्य या क्षेत्र राष्ट्रीय शिक्षा अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद ने सन् (1984) में व्यावसायिक शिक्षा के निम्नलिखित क्षेत्रों का उल्लेख किया

भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर एक लेख लिखिए।

  1. ग्रामीण विकास के राष्ट्रीय उद्देश्यों की प्राप्ति करना।
  2. समाज का रूपान्तरण करना।
  3. राष्ट्रीय उत्पादन के विकास हेतु शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करना और व्यक्तिगत सम्पन्नता में वृद्धि करना।

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