चीन के मिंग वंश पर एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।

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चीन के मिंग वंश –14वीं शताब्दी के मध्य में युआन वंश के पतनोन्मुख होने पर विद्रोही नेता चु युआन चांग ने चीन में मिंग वंश की स्थापना की जिसका चीन पर 1367-1644 ई. तक शासन रहा। इस वंश के संस्थापक चू युआन चाँग अथवा हँग बू ने 1368-99 ई. तक शासन किया जिसने नानकिंग को अपनी राजधानी बनाया। उसके शासनकाल में कोरिया ने औपचारिक रूप से चीन के अधिराजत्व को स्वीकार किया और वर्मा के राजा ने चीन को कर देना आरम्भ किया।

यह चीन का अन्तिम राष्ट्रीय वंश था जिसके शासनकाल में चीन ने अपना खोया हुआ गौरव पुनः प्राप्त किया। मिंग का अर्थ ही है- गौरवपूर्ण’ अथवा ‘यशस्वी’। इस युग में समस्त विदेशी प्रभावों व साधनों, धर्म, वस्त्राभूषण आदि को त्याग कर स्वदेशी के प्रयोग पर जोर दिया गया। युग लो (1403-25) ने मंगोलों को पराजित कर देश में शान्ति स्थापित की और जावा, सुमात्रा, स्याम और बंगाल की ओर दूतमण्डल भेजे, साथ ही कूटनीतिक सम्बन्धों की भी स्थापना की। चीन की सीमा का दक्षिण-पश्चिम में स्जेचुआन व युनान तक, उत्तर के तटवर्ती प्रदेशों में आमूर नदी के तट पर मंचूरिया तक, विस्तार किया गया।

कोरिया, मंगोलिया व वर्मा चीन के करदू राज्य बन गये। दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी हिन्द द्वीप समूह, भारत, लंका, अरब व अफ्रीका की ओर भी नौसैनिक अभियान भेजे गये 1406 में क्वांग्सी और क्वाइचाऊ दक्षिण-पश्चिमी प्रान्तों औपनिवेशीकरण आरम्भ हुआ जिसमें मिंग खोजे, चुंग हो, का नौसैनिक अभियान् विख्यात है, जिसके फलस्वरूप शक्तिवृद्धि के साथ-साथ, नये व्यापार मार्ग भी उन्मुक्त हुये। परन्तु इसी बीच कुछ कारणों से विदेशियों के लिये द्वार बन्द कर देने पड़े। चीनी जहाजों को अपना तट छोड़ने का निषेध कर दिया गया, फलतः नौशक्ति क्षीण हुई और चीन यूरोपीय जापानी आक्रमणों से होने लगा। यस्त

मिंगकाल में प्राचीन चीनी शासन प्रणाली को पुनः लागू किया गया। सम्राट हुंग बू शासन की सुविधा दृष्टि चीन भागों में विभक्त किया। केन्द्रीय शासन में परामर्श के लिए 6 मंत्री नियुक्त किये गये। नागरिक सेवा परीक्षाएँ पुनः आरम्भ की गयीं। विधान को संशोधित कर विधि सहितायें तैयार की गयीं। कृषि के उत्थान, परती भूमि के उपयोग, नहरों व जलमार्गों के विकास विस्तार और भग्न भवनों के जीर्णोद्वार का भी प्रबन्ध किया गया। इसी काल में व्यापारियों व धर्मप्रचारकों के रूप में ‘लाल बाल वाले यूरोपीय बर्बरों’ का आगमन हुआ जिनमें जेसुइट फ्रांसिस जैबियर व मित्तियो रिक्की प्रमुख थे।

मिंगों की विदेशी नीति प्रायः आक्रमण एवं प्रसारवादी थी। जापान का शोगुन भी इन्हें अधिपति मानता था, विशेषकर तीसरे सम्राट के शासनकाल में, जब राजधानी पेकिंग ले जाई. गयी। तत्पश्चात् आन्तरिक विद्रोह, प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण, दुर्भिक्ष एवं वास्य आक्रमण के कारण (1456 ई.), अपकर्ष आरम्भ हो गया। कुछ समय के लिये, हसिआओ के शासनकाल (1488-1506 ई.) में शान्ति सुव्यवस्था एवं आर्थिक उन्नति के कारण, मिंग वंश का स्वर्णयुग आया और पश्चिमी नाविकों का ध्यान चीन की ओर आकृष्ट हुआ परन्तु यह केवल बुझते हुए दिये की ली थी। शीघ्र ही जापानी जलदस्युओं से रक्षा के लिये मिंग सम्राट को अपनी तटवर्ती प्रजा को लगभग 30 मील अन्दर बुला लेना पड़ा। 1555 ई. में जापानियों ने नानकिंग पर भी आक्रमण किया जिससे चीन साम्राज्य की निर्बलता प्रकट हो गयी। फलतः अन्नाम, तिब्बत, मंगोलिया आदि अधीनस्थ राज्य स्वयं को स्वतन्त्र घोषित करने लगे। शिहत्सुङ्ग का शासनकाल (1522-67 ई.) आन्तरिक विद्रोहों तथा बाह्य आक्रमणों के कारण मिंग वंश के ह्रास का युग कहलाता है जिसके पश्चात् इस वंश की शक्ति निरन्तर क्षीण होती चली गयी। 16वीं शताब्दी के अन्त तक उत्तरी मंचूरिया ने भी चीनी शासन का जुआ उतार फेंका। फिर भी चीन ने सन् 1592 व 1597 में जापानी नेपोलियन हिडेयशी के विशाल (200,000 सैनिकों वाले) कोरिया-अभियान को विकल कर दिया।

गौरवपूर्ण क्रान्ति के राजनैतिक परिणाम बताइए।

16वीं शताब्दी के अन्त और 17वीं शताब्दी के आरम्भ में उत्तर की ओर से एक नया संकट उपस्थित हुआ। मंचूरिया की सुरुबेन तातार जातियों (मांधुओं) का नेता नूर ह (1559-1626 ई.) अपना प्रभाव बढ़ाने लगा। 16वीं शताब्दी के अन्तिम वर्ष (1599 ई.) में उसने मिंग सम्राट को कर चुकाने से इन्कार कर दिया। 1616 ई. में स्वतन्त्रता की घोषणा कर उसने मुकदेन को अपनी राजधानी बनाया, स्वयं सम्राट बन बैठा और मां अथवा चिंग वंश की स्थापना की। उसके पुत्र एवं उत्तराधिकारी ताइत्सुङ्ग ने साम्राज्य का विस्तार किया और 1627 ई. में कोरिया को अधिकृत कर लिया। इसी समय चीन में दुर्भिक फैला। स्थान-स्थान पर विद्रोह उठ खड़े हुए। मिंग शासन की दीवारें हिलने लगीं जिनो धराशायी करने में विश्वासघातियों का विशेष योगदान था। एक के बाद एक समस्त प्रान्त मिंग वंश के हाथों से निकल गये। 1644 ई. में इस वंश का पतन हो गया।

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