चन्द्रगुप्त कौन था? – गुप्त वंश का सर्वप्रथम शक्तिशाली शासक या चन्द्रगुप्त प्रथम उसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी। उसके शासनकाल की महत्वपूर्ण घटना लिच्छवियों के साथ वैज्ञानिक सम्बन्ध स्थापित करना था। चन्द्रगुप्त प्रथम की विजयों के विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं है, जिससे उसके साम्राज्य की सीमा को निर्धारित किया जा सके। वायुपुराण में किसी गुप्त राजा की साम्राज्य की सीमा का वर्णन करते हुए बताया गया है कि गुप्त वंश के लोग गंगा के किनारे प्रयाग तक तथा साकेत, मगध के प्रदेशों पर शासन करेंगे।
जिस साम्राज्य की सीमा का यहाँ उल्लेख हुआ है उसका विस्तार पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में प्रयाग तक था। स्पष्ट है यह साम्राज्य सीमा चन्द्रगुप्त प्रथम के समय की है क्योंकि उसके पूर्ववर्ती दोनों ही शासक अत्यन्त साधारण, स्थिति के थे तथा उसके बाद के शासक समुद्रगुप्त का साम्राज्य इससे कहीं अधिक विस्तृत था।
वैदिक काल में यज्ञों के महत्व की विवेचना कीजिए।
प्रयाग प्रशस्ति आर्यावर्त तथा दक्षिणापथ में समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख करती है, किन्तु पश्चिम की ओर प्रयाग के पूर्व में गंगा नदी तक के भू-भाग की चर्चा इसमें नहीं मिलती। इससे भी स्पष्ट है कि यह भाग चन्द्रगुप्त के अधिकार में था। एस.सी. राय चौधरी के मतानुसार कौशाम्बी तथा कौशल के राजाओं को चन्द्रगुप्त ने जीतकर उनके राज्यों पर अधिकार कर लिया था।