चन्देल वंश के इतिहास की जानकारी के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए।

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चन्देल वंश के इतिहास की जानकारी

चन्देल वंश के इतिहास की जानकारी इस वंश के राजाओं द्वारा लिखे गये बहुसंख्यक अभिलेख, इनके द्वारा राज्याश्रय प्राप्त विद्वानों के ग्रन्थ और मुस्लिम लेखकों के विवरण के द्वारा होती है। अभिलेखों में मध्य प्रदेश के छत्तरपुर जिलें में खजुराहो से प्राप्त अभिलेख, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के नन्यौरा से प्राप्त अभिलेख, मऊ प्रस्तर अभिलेख, मध्यप्रदेश के महोबा के किलों की दीवारों पर अंकित अभिलेख तथा मध्यप्रदेश के छतरपुर से प्राप्त अभिलेख विशेष महत्वपूर्ण है। खजुराहो के दोनों अभिलेख इस वंश के राजनैतिक इतिहास की जानकारी के लिए विशेष महत्वपूर्ण है, देवनागरी लिपि में लिखवाये गये इन अभिलेखों में चन्देल राजाओं की वंशावली मिलती है।

ग्रन्थों में राजशेखर द्वारा लिखा गया प्रबन्धकोश, कृष्णमिश्र का प्रबोध चन्द्रोदय, चन्दबरदाई द्वारा लिखित पृथ्वीराजरासो और परमलरासों, जगनिककृत आल्हणखण्ड आदि प्रमुख है। उपरोक्त वर्णित ग्रन्थों से इस वंश के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ चन्देल वंश का अन्य राजपूत राजवंशों के सम्बन्धों का भी पता चलता है। राजपूत कालीन संस्कृति की जानकारी में भी ये महत्वपूर्ण श्रोत है।

वत्सराज की कन्नौज विजय का उल्लेख कीजिए।

मुस्लिम आक्रान्ताओं के साथ आने वाले कुछ विदेशी इतिहासकारों ने भी अपनी पुस्तकों में चन्देल वंश का उल्लेख किया है। इन मुस्लिम लेखकों में निजामुद्दीन, हसन निजामी, इब्न-उल-अतहर – विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन लेखकों ने मुस्लिम शासकों और राजपूतों के बीच होने वाले युद्धों का वर्णन अपने ग्रन्थों में किया है।

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