चन्देल शासक धंग
चन्देल शासक धंग, यशोवर्मन और पुष्पादेवी से उत्पन्न पुत्र था। वह सन् 950 ई. में सिंहासन पर बैठा। धंग चन्देल वंश की वास्तविक स्वाधीनता का जन्मदाता था, क्योंकि उसने प्रतिहार वंश से अपने आपको को पूर्णतः स्वतन्त्र घोषित कर महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी। बंग एक कूटनीतिक शासक और महान योद्धा था। खजुराहो अभिलेख जो धंग द्वारा उत्कीर्ण करवाया गया था, में धंग के शासनकाल का विस्तृत उल्लेख है। इस उल्लेख में उसकी प्रशंसा में कहा गया है कि कोशल, क्रथ, सिंपल और कुन्तल पर धंग का अधिकार था। कान्ची, आन्ध्र, राढ़ा और अंग राज्यों की रानियाँ उसके कारागारों में पड़ी थीं।
अभिलेख के विवरण यद्यपि अतिरंजित है लेकिन बुन्देलखण्ड के समीपवर्ती क्षेत्रों पर इसके आधिपत्य से इन्कार नहीं किया जा सकता। धंग का राज्य विस्तार भिल्ला से नमसा और यमुना से नर्मदा तक था। धंग एक दूरदर्शी शासक था और वह सीमा पर मुसलमानों के आक्रमण और उससे पड़ने वाले प्रभाव से परिचित था इसलिए उसने साहीवंश के राजा जयपाल को मुस्लिम आक्रान्ता सुबुक्तगीन के विरुद्ध सहायता दी थी। उसने सीमावर्ती क्षेत्रों पर अधिकार के साथ-साथ मुस्लिम आक्रमणकारियों को रोकने का भी प्रयास किया। धंग के कार्यों से यह प्रमाणित होता है कि वह एक महान सम्राट था।
“गोविन्द चन्द्र गहड़वाल वंश का सर्वाधिक योग्य शासक था।” व्याख्या कीजिए।
धंग ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। यह विभिन्न हिन्दू देवी देवताओं को मानता था। हिन्दू धर्मावलम्बी होते हुए भी एक धर्म सहिष्णु शासक था। धंग एक महान निर्माता भी था। उसने खजुराहो में अनेक भव्य मन्दिरों का निर्माण करवाया था जिसमें जिननाथ, विश्वनाथ और बैद्यनाथ प्रमुख है। धंग ने सन् 1008 ई. में प्रयाग के संगम तट पर डूबकर अपने प्राण त्याग दिये।