चन्दावर के युद्ध
सन् 1192 ई. में मुहम्मद गोरी द्वारा चहमान शासक पृथ्वीराज तृतीय को पराजित करने के बाद अब बारी गहड़वाल शासक जयचन्द्र की थी। 1994 में दोनों के मध्य चन्दावर (जिला एटा) के मैदान में युद्ध हुआ जिसे चन्दावर के युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में तुर्क सेना का नेतृत्व कुतुबुद्दीन ऐबक कर रहा था। उसके नेतृत्व में 50 हजार तुर्की सेना ने उस युद्ध में भाग लिया। युद्ध के दौरान हाथी पर सवार जयचन्द्र की आँख में तीर लगने से वह गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गयी। फलतः सेनापति के अभाव में सेना में भगदड़ मच गयी और मुस्लिम विजयी हुये। आक्रान्ताओं ने आसानी से जयचन्द्र के राजकोष को हस्तगत कर लिया तथा स्वी व बच्चों को छोड़कर सबकी हत्या करवा दी।
जयसिंह सिद्धराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
गोरी ने बनारस तथा कन्नौज को खूब लूटा चन्दावर के युद्ध के पश्चात् जयचन्द्र के पुत्र हरिश्चन्द्र के नेतृत्व में कुछ समय तक गहड़वाल सत्ता बनी रही और शीघ्र ही उस पर तुर्की का अधिकार हो गया।