चार्ल्स पंचम की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिये।

चार्ल्स पंचम की धार्मिक नीति – चार्ल्स पंच कैथलिक था। यह मार्टिन लूथर और प्रोटेस्टेन्टों का घोर विरोधी था। जब जर्मनी में प्रोटेस्टेन्टवाद जोर पकड़ने लगा और इसने सामंती नेताओं तथा सम्राट में फूट उत्पन्न कर दी हटन और सिकिनजेन को विश्वास था कि सन् 1520 में मार्टिन लूथर और पोप के सम्बन्ध-विच्छेद के फलस्वरूप जर्मनी और इटली अलग-अलग हो जायेगे। तथा जर्मनी में धर्म के आधार पर एक राष्ट्रीय राज्य की स्थापना होगी। लेकिन सामन्त लूथर की मदद करने लगे तथा सम्पूर्ण जर्मनी में उसके उपदेशो का प्रचार करने लगे। किन्तु चार्ल्स पंचम कैथोलिक और पोप का समर्थक बना रहा पोप ने लूथर को धर्म बहिष्कृत कर दिया और चार्ल्स को उसे कैद करने का आदेश दिया। इस पर जर्मन सामन्त सम्राट के विरोधी बन गए।

सन् 1522 में सामंतों का युद्ध शुरू हो गया। सामंत नेता सिकिनजेन ने ट्रायर के कैथोलिक विशप; राजकुमार की जमींदारी पर हमला बोल दिया। अपने पारस्परिक मतभेदों को भुलाकर जर्मन राजकुमारों नेट्रायर की मदद की तथा सिकिनजेन को मार भगाया। मई, 1523 में अपने इवर्नबर्ग महल के सामने युद्ध करते हुए वह मारा गया।

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उसका सहयोगी हट्टन स्विट्जरलैण्ड भाग गया तथा शीघ्र ही उसका भी देहान्त हो गया। सामन्त अपनी उद्देश्य पूर्ति में असफल रहे। राजकुमार तथा व्यापारी विजयी रहे। जर्मनी को एक राष्ट्रीय राज्य बनाने का स्वप्न टूट गया। धीरे-धीरे जर्मन में लुथर की मुहिम कमजोर पड़ने लगी। जिसमें चार्ल्स पंचम का मुख्य योगदान था।

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