चार्ल्स पंचम के चरित्र का मूल्यांकन कीजिए।

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चार्ल्स पंचम के चरित्र – सम्राट चार्ल्स पंचम न तो महान था और न ही उसमें मौलिकता की झलक थी। यद्यपि उसमें कर्तव्य परायणता, विचारों की सत्यता, उच्चस्तरीय सैनिक गुण तथा शान्तमय साधारण ज्ञान की प्रचुरता थी, किन्तु वह स्वभाव से बहुत ही था। वह स्वयं यह कहा करता था कि “मैं अपने विचारों में दृढ़ रहने के लिए प्रकृति से हठी हूँ।”

वह जो सोचता था केवल उसी को उचित स्वीकार कर उस पर दृढ़ रहता तथा उसके पालन में प्रत्यनशील हो जाता था। उसके उद्देश्य की सत्यता में कोई शंका नहीं थी, किन्तु वह अपने उद्देश्यों की पूर्ति में अधिकतर समय के विपरीत चला जाता था। वह तीव्र परिवर्तनशील युग की राजनीति तथा धर्म में प्राचीन आदर्शों को प्रतिष्ठित करना चाहता था।

चार्ल्स पंचम की विदेशी नीति की विवेचना कीजिए?

यद्यपि लूथरवाद की जड़ें जर्मनी में काफी दृढ़ हो चुकी थीं किन्तु वह धार्मिक एकता की स्थापना के लिए प्रयास करता रहा तथा इसके लिए उसने शक्ति का भी उपयोग किया। नेपोलियन बोनापार्ट के विचार से “जिस समय जर्म में लूथरवाद की स्थापना हो गई थी चार्ल्स पंचम ने लूथरवाद स्वीकार न कर एक महान् भूल की तथा उसने संयुक्त जर्मनी का नेता बनने का एक स्वर्ण अवसर खो दिया।”

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