शोध या अनुसंधान प्रारूप का अर्थ परिभाषा एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
शोध या अनुसंधान प्रारूप का अर्थ – अनुसंधान अथवा शोध प्रारूप का तात्पर्य अध्ययन के उस प्रकार से होता है […]
शोध या अनुसंधान प्रारूप का अर्थ – अनुसंधान अथवा शोध प्रारूप का तात्पर्य अध्ययन के उस प्रकार से होता है […]
भारत में समाजशास्त्र के उदय – समाजशास्त्र मूलरूप से सामाजिक सम्बन्धों और सामाजिक ढांचे का अध्ययन करने वाला विज्ञान है।
दुर्खीम द्वारा प्रतिपादित धर्म के सिद्धान्त – दुखींम धर्म को धार्मिक वस्तुओं से सम्बन्धित विचार विश्वास तथा प्रथाओं की प्रणाली
दुर्खीम के श्रम सम्बन्धी सिद्धान्त – दुर्खीम की अपनी प्रथम पुस्तक “डिवीजन आफ लेबर इन सोसाइटी” है जो 1893 में
अनुसूचित जातियों के कल्याण – अस्पृश्यता भारतीय समाज के सम्मुख एक गम्भीर समस्या है। आज ऐसे लोग की संख्या काफी
इतिहास की भौतिकवादी – मार्क्स का कथन है कि समाज के भौतिक जीवन की अवस्थाएँ अन्तिम रूप से समाज की
उपकल्पना क्या है? – अनुसंधान एक प्रकार की यात्रा है। जिस प्रकार यात्रा किसी विशेष स्थान से आरम्भ होती है
साक्षात्कार की परिभाषा – सामाजिक अनुसंधान में सामग्री संकलन के लिए अवलोकन ही पर्याप्त नहीं होता साक्षात्कार में एक दूसरे
सामाजिक समझौता सिद्धान्त पर रूसों के विचारों का परीक्षण – रूसो के अनुसार प्रारम्भ में मनुष्य जीवन शांत, सरल, संतुष्ट
अवलोकन की परिभाषा – एक अनुसंधानकर्ता जब तक स्वयं किसी तथ्य का निरीक्षण नहीं कर लेता है तब L तक