Hindi Literature

मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के प्रधान कवि हैं इसकी पुष्टि उनके काव्य साधना एवं काव्य प्रवृत्तियों के आधार पर कीजिए?

मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के वास्तविक एक प्रधान कवि हैं। किसी भी देश काल उत्तर की प्रत्येक विचारधारा संस्कृति एवं साहित्य चेतनाओं का समन्वय अपने काव्य में करने वाले को प्रधान कवि के रूप में जाना जाता है। मैथिलीशरण गुप्त जी की सभी रचनायें राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत हैं। उनकी कविता का मूल स्वर राष्ट्रीय एवं …

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आधुनिक हिंदी काव्य (राधा-मैथिलीशरण गुप्त) बी.ए. द्वतीय वर्ष सन्दर्भ सहित व्याख्या

शरण एक तेरे मैं आई, धरे रहें सब धर्म हरे ! बजा तनिक तू अपनी मुरली नाचे मेरे मर्म हरे! नहीं चाहती मैं विनिमय मै उन वचनों का वर्म हरे! तुझको एक तुझी को अर्पित राधा के सब कर्म हरे! यह वृन्दावन यह वंशीवट, यह यमुना का तीर रहे! यह तरते ताराम्बरवाला नीला निर्मल नीर …

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