ब्रिटिश राजनीति में दबाव समूह की क्या भूमिका है?

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ब्रिटिश राजनीति में दबाव – सामान्यतया जब हित समूह अपने हित साधन व स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रशासन, विधान व अन्य क्षेत्रों में दबाव डालते हैं तो उन्हें दबाव समूह नाम से जाना जाता है। हिट गुट व दबाव गुट आज भारत जैसी व्यवस्थाओं में भी पये जाते हैं। अमेरिका तो इसकी खान है। दबाव समूह स्त्रियों व पुरुषों के वे समूह है, जो किसी राज्य में किन्हीं विशेष उद्देश्यों व मामलों से सम्बद्ध होते है। ये वास्तव में राजनीतिक संगठन नहीं होते और न निर्वाचकों में अपने प्रत्याशी ही खड़े करते, बल्कि ऐसे समूह होते हैं जिनके हित समान होते हैं और फलस्वरूप वे व्यक्ति मिलकर सार्वजनिक कार्यों की गति को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। इन्हें इस प्रकार परिभाषित किया गया है।

सरकारिया आयोग(sarkaria commission)

मायनर दीनर के शब्दों में– “हित अथवा दबाव समूहों से हमारा अभिप्राय शासन के ढाँचे के बाहर स्वेच्छिक रूप से संगठित ऐसे समूह होते हैं, जो प्रशासनिक अधिकारियों के मनोनयन व नियुक्ति विधायन और सार्वजनिक नीति के क्रियान्वयन को प्रभावित करने हेतु प्रत्यनशील रहते हैं।”

एच. जेमलर के शब्दों में“दबाव समूह ऐसा संगठित समूह है जो अपने सदस्यों को शासकीय पदों पर आसीन किये बिना सरकारी निर्णयों को प्रभावित करने की इच्छा रखता हैं।

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