ब्रिटिश मंत्रिमण्डल के गठन, महत्व एवं शक्तियों का वर्णन कीजिये।

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ब्रिटिश मंत्रिमण्डल के गठन – ब्रिटेन में अब संसदीय शासन व्यवस्था है। इसका दूसरा नाम मन्त्रिमण्डल शासन प्रणाली भी है। ब्रिटेन की शासन व्यवस्था में समस्त कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों का वास मन्त्रिमण्डल में ही होता है मन्त्रिमण्डल ही शामन रूपी यंत्र की मुख्य भूरी है। लावेल के शब्दों में, “मन्त्रिमण्डल राजनीतिक मेहराब की आधारशिला है।” चाहे अब भी ब्रिटेन में शासन सम्राट अथवा रानी के नाम से होता हो, परन्तु यह एक निर्विवाद सत्य है कि वास्तविक शासन मन्त्रीमण्डल ही है। अब यह कोई विवाद का विषय नहीं रह गया है कि वास्तविक शक्तियाँ सम्राट के पास हैं या मन्त्रिमण्डल के पास।

मन्त्रिमण्डल का अर्थ (Meaning of cabinet)

मन्त्रिमण्डल एक तरह की संसदीय समिति है। यह कॉमन सभा के नेता द्वारा दोनों सदनों में से चुने गये सदस्यों की वह समिति है जिसका काम शासन करना है। यह जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्यों का मण्डल है, जिसे कार्यपालिका की शक्तियाँ सौंप दी गई है। मुनरों के अनुसार- “मन्त्रिमण्डल ताज के नाम से प्रधानमन्त्री द्वारा नियुक्त किये गये उन शासकीय परामर्शदाताओं की समिति को कहा जा सकता है जिन्हें कॉमन सभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त है।” बेजहॉट के शब्दों में, “मन्त्रिमण्डल विधायिका की एक ऐसी समिति है जिसे कार्यकारिणी समिति के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।” ग्लैडस्टन ने लिखा है, “मन्त्रिमण्डल तीन मोड़ का वह है जो सम्राट, लार्डस् और कॉमन्स को मिलाकर संविधान के कार्य के लिये प्रवृत्त करता है यह सम्भवतः आधुनिक काल के राजनीतिक संसार में अपनी प्रतिष्ठ के लिये नहीं वरन् अपने चातु लचक और शक्ति की बहुमुखी विविधता के लिये सर्वाधिक आचर्यजनक रचना है।”

विकास (Development)

वर्तमान मन्त्रिमण्डल के अंकुर एजिवेन युग में ग्यारहवी शताब्दी में राज को परामर्श देने के लिए बनाई गई संस्था ‘क्यूरिया जिस में देखे जा सकते हैं। धीरे-धीरे क्यूरिया रेजिस का आकार बढ़ता गया, जिससे प्रिवी परिषद् का प्रार्दुभाव हुआ और प्रिवी परिषद की सदस्य संख्या बढ़ने पर उसमें से एक और समिति ‘कैबिनेट’ का विकास हुआ।

मन्त्रिमण्डल के विकास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पग चार्ल्स द्वितीय के काल 1660 1685 में उठाये गये। 1667 में चार्ल्स द्वितीय ने परामर्श के लिये अपने पाँच विश्वसनीय व्यक्तियों के एक छोटे समूह को संगठित किया। वे पाँच व्यक्ति थे। Clifford, Astrey. Buckingham, Arlington तथा Landcrdeal उनके नामों के पहले अक्षरों के आधार पर उन्हें ‘कबाल’ कहा गया। इन्हें केबिनेट इसलिये कहा गया, क्योंकि जिस छोटे कमरे में बैठकर व लोग मंत्रणा करते थे, उस प्रकार के कमरों को केबिनेट कहते हैं। यह केबिनेट प्रणाली का केवल आरम्भ था (क्योंकि इस काल में ये सदस्य राजा के प्रति उत्तरदायी थे।

मन्त्रिमण्डल की कार्य (Cabinet work)

पद्धति मन्त्रिमण्डल की बैठक 10 डाउनिंग स्ट्रीट के कैबिनेट कक्ष में संसद के अधिवेशन के समय सप्ताह में दो बार, अन्यथा सप्ताह में एक बार

होती है। यह मीटिंग गुरुवार और मंगलवार को प्रातः दस बजे आरम्भ होती है। यदि कार्यभार अधिक हो तो इनके अतिरिक्त भी मन्त्रिमण्डल की बैठक बुलाई जा सकती है। प्रधानमन्त्री इन बैठकों की अध्यक्षता करता है। वह मन्त्रिमण्डल की बैठकों में कार्यसूची तैयार करता है । मन्त्रिमण्डल की बैठकों की कोई निर्धारित शैली नहीं है।

मन्त्रिमण्डल की शक्तियाँ (Powers of cabinet)

मन्त्रिमण्डल द्वारा किये गये कार्यों और उसकी शक्तियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि उसके सम्बन्ध में विद्वानों द्वारा जो गुणगान किया गया है, वह उचित ही है। ग्लैडस्टन ने ठीक ही कहा है- “आधुनिक काल में राजनीतिक जगत में सम्भवतः यह सर्वाधिक आशर्यजनक रचना है, अपनी प्रतिष्ठ के लिये नहीं वरन् अपने चातुर्य, अपनी लचक और शक्ति की बहुमुखी विभिन्नता के लिये।”

ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल की शक्तियाँ और कार्य वास्तव में उसकी बहुमुखी विभिन्नता का प्रमाण है जिनका अध्ययन हम निम्न प्रकार कर सकते हैं

1. कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ

ब्रिटेन में मन्त्रिमण्डल कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों की सर्वोच्च संस्था है। देश के सम्पूर्ण प्रशासन पर उसका अधिकार है। देश में प्रशासन के लिये कार्यों के आधार पर विभिन्न विभाग बनाये जाते हैं। मन्त्रिमण्डल के सदस्य इन विभागों के अध्यक्ष होते हैं और इनका पूरा संचालन वे करते हैं। वे ही अपने विभागों के सम्बन्ध में नीतियों का निर्धारिण करते हैं और उन्हें क्रियान्वित करते हैं तथा उनके आधार पर प्रशासन करते है मन्त्रिमण्डल की कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों के सम्बन्ध में एक बात विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है- इन शक्तियों का प्रयोग ताज के नाम से किया जाता है। ताज के नाम से किये जाने वाले सभी कार्यपालिका सम्बन्धी कार्य मुख्य रूप से मन्त्रिमण्डल द्वारा किये जाते हैं।

2. विधायी शक्तियाँ

ब्रिटेन में व्यवस्थापिका के क्षेत्र में भी मन्त्रिमण्डल का नेतृत्व है। व्यवस्थापिका का सत्र बुलाना, सत्रावसान करना, सत्र स्थापित करना, यह सब मन्त्रिमण्डल के परामर्श द्वारा ताज के नाम पर ही होता है मन्त्रिमण्डल ही संसद का भंग करके पुनर्निवाचन भी करा सकता है। विधि निर्माण के क्षेत्र में भी मन्त्रिमण्डल ही सर्वेसर्वा है। विधि निर्माण संसद का कार्य है, परन्तु संसद में वे ही विधेयक पारित होते हैं, जिन्हें या तो मन्त्रिमण्डल बनाता है। और संसद के सम्मुख प्रस्तुत करता है और / या जिन्हें मन्त्रिमण्डल का समर्थन प्राप्त न हो। संसद में ऐसा एक भी विधेयक पास नहीं हो सकता जिसे मन्त्रिमण्डल का समर्थन प्राप्त न हो। विधि-निर्माण के क्षेत्र में मन्त्रिमण्डल की स्थिति को देखकर कुछ विद्वानों ने मन्त्रिमण्डल को ‘छोटी व्यवस्थापिका’ कहा है।

3. वित्तीय शक्तियाँ

देश में होने वाले सम्पूर्ण शासकीय आय व्यय पर मन्त्रिमण्डल का अधिकार है। सम्पूर्ण देश के आय-व्यय का वार्षिक बजट मन्त्रिमण्डल के एक सदस्य, वित्त मन्त्री द्वारा ही बनाया जाता है। पूरा मन्त्रिमण्डल बजट पर विचार करता है और उसे स्वीकार करता है। देश की कौन-कौन सी योजनाओं पर अथवा कौन-कौन से मुद्दों पर कितना व्यय होना है, इसका निर्णय भी मन्त्रिमण्डल करता है। आय के स्रोत तथा नये कर कौन से होंगे इसकी व्यवस्था भी मन्त्रिमण्डल करता है।

4. न्यायपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ

ब्रिटेन में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका पृथक नहीं है, तो भी कार्यपालिका अवश्य स्वतन्त्र है। यह बात सत्य है और इस कारण मन्त्रिमण्डल की न्यायपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ बहुत कम है। एक तो न्यायाधीशों की नियुक्ति पर मन्त्रिमण्डल का अधिकार है। दूसरा ताज जिन अपराधियों को उन्मुक्ति प्रदान करता है, उसके लिये भी अंतता मन्त्रिमण्डल ही उत्तरदायी है। तीसरा सर्वोच्च न्यायिक शक्ति प्रिवी परिषद् को प्राप्त है। परन्तु प्रिवी परिषद का लार्ड प्रेसीडेंट मन्त्रिमण्डल का ही सदस्य होता है।

5. विदेश नीति सम्बन्धी शक्तियाँ

देश की सम्पूर्ण विदेश नीति का निर्धारण और उसका संचालन मन्त्रिमण्डल करता है। वही विदेशों में राजदूत तथा अन्य उच्च अधिकारियों की नियुक्ति करता है । मन्त्रिमण्डल ही अंततः विदेशों के साथ की जाने वाली सन्धि, युद्ध अथवा शान्ति की स्थिति का निर्णय करता है। अपने उपनिवेशों तथा राष्ट्रमण्डल के सम्बन्ध में नीति निर्धारण और उसका क्रियान्वयन मन्त्रिमण्डल ही करता है।

6. सैनिक शक्तियाँ

देश की समस्त सैनिक शक्तियाँ भी मन्त्रिमण्डल में निहित है। यद्यपि सेना का सर्वोच्च अधिकारी ताज अथवा सम्राट माना जाता है, परन्तु वह तो केवल नाममार का सर्वोच्च सैनिक अध्यक्ष है। वास्तविक सैनिक शक्तियाँ तो मन्त्रिमण्डल में ही निहित रहती है। वह ही युद्ध अथवा शान्ति के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय होता है। मन्त्रिमण्डल अथवा प्रधानमंत्री अथवा रक्षा मंत्री ही युद्ध का संचालन करता है।

विद्याधर चन्देल और तुर्कों की चुनौती।

इस प्रकार सभी क्षेत्रों में मन्त्रिमण्डल के कार्य, उसकी शक्तियाँ और दायित्व इतने अधिक हैं कि सरलता से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ब्रिटेन में मन्त्रिमण्डल की तानाशाही है। विलफ्रेड हैरिसन का कहना है- “यदि कॉमन सभा में मन्त्रिमण्डल का स्थिर बहुमत है तो उसकी शक्तियों पर कोई औपचारिक सीमा नहीं है।”

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