ब्रिटेन के प्रमुख रूप से तो दो ही राजनीतिक दल हैं- ‘अनुदार दल’ और ‘श्रमिक दल’। तीसरा दल- उदार दल जिसका 19वीं शताब्दी में सितारा बुलन्द था, अब अस्त प्राय हो गया है। प्रो० लास्की ने तो इसे अनुदार दल का एक ‘विंग’ कहा है। पिछले दशक में उदार दल की शक्ति में कुछ वृद्धि हुई। 1981 में एक अन्य दल ‘सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी का प्रदुर्भाव हुआ जिसने 1983 में उदार दल के साथ मिलकर चुनाव लड़कर 36 प्रतिशत मत प्राप्त किये। वहाँ इन तीनों दलों का मुख्य रूप से वर्णन किया जा रहा है। साथ ही अन्य दलों का उल्लेख भी किया गया है।
1. अनुदार दल
अनुदार दल का जन्म 1832 ई० में हुआ। इस वर्ष हिंग पार्टी के नेतृत्व में जब पहला सुधार अधिनियम पारित हुआ तो टोरी दल को प्राचीन परम्पराओं की समाप्ति का खतरा प्रतीत होने लगा। उसने सोचा कि हिग पार्टी तो उदार (Radical) कदम उठा रही इसका विरोध होना चाहिए, अतः पुरानी परम्पराओं का संरक्षण करने वाली इस पार्टी का नाम Conservative अर्थात् रक्षा करने वाला पड़ गया। डॉ० जैनिंग्स का कथन है- “कन्जरवेटिव नाम इसलिये पड़ा कि यह दल संविधान पर एक खतरा अनुभव करता था और इस खतरे से वह संविधान का संरक्षण (Conserve) करना चाहता था।” संविधान की रक्षा करने वाले का अर्थ सुधारवाद के विरुद्ध रूढ़िवाद की रक्षा करने वाला दल हो गया तथा उसका लक्ष्य नये सुधारों का विरोध करना और पुरातन की रक्षा करना हो गया।
अनुदार दल की नीति और कार्यक्रम
यह दल अतीत की परम्पराओं का प्रेमी है। इसे अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व है और यह चाहता है कि अतीत की वे परम्पराएं बनी रहें। राजनीतिक क्षेत्र में यह दल चाहता है कि सम्राट का अस्तित्व बना रहे, लार्ड सभा की शक्तियाँ बनी रहें, ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य चमकता रहे। इसलिये अनुदार दल ने नाममात्र के सम्राट के भी गीत गाये और लार्ड सभा को उखाड़ने वाले श्रमिक बल के प्रस्तावों का विरोध किया।
अनुदार दल को अपने देश, अपनी जाति और रंग पर बहुत अभिमान है। वह आज भी ब्रिटेन को संसार का महानतम् देश मानता है। यह समझता है कि अंग्रेज जाति विश्व की सर्वश्रेष्ठ जाति है। उसे प्रभु ईसा मसीह ने संसार भर को सभ्य बनाने के लिये भेजा है।
आर्थिक क्षेत्र में अनुदार दल यद्भाव्यम् नीति (Lassicz Faire) की नीति का पक्षपाती है। वह पूँजीवादी व्यवस्था में विश्वास करता है। वह व्यापार, व्यवसाय और उद्योग के क्षेत्र में स्वतंत्रता का और सार्वजनिक क्षेत्र में औद्योगिकरण का विरोधी नहीं है, वह श्रमिकों का शोषण नहीं चाहता, परन्तु इतना चाहता है कि आर्थिक विकास के लिये निजी क्षेत्र के द्वार खुले रहें, व्यक्तिगत सम्पत्ति और व्यक्तिगत व्यवसाय पर आधारित समाज व्यवस्था बनी रहे। हरमन फाइनर के अनुसार, “अनुदार दल चाहता है कि ब्रिटेन के राजा की सत्ता अक्षुण्ण बनी रहे, चर्च का आधिपत्य रहे और व्यक्तिगत सम्पत्ति पर राज्य का अधिकार न रहे।” इस प्रकार अनुदारवादी, समाजवादी, आर्थिक व्यवस्था का समर्थन नहीं करते।
अनुदार दल का एक पक्ष बहुत ही रूढ़िवादी है। दूसरी ओर दल का युवा वर्ग इसे अत्यन्त प्रगतिशील बनाना चाहता है। वह चाहता है कि दल में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो। दल का नेतृत्त्व प्रायः मध्यमार्गियों के हाथ में रहा है, जो दोनों वर्गों को साथ लेकर चलता है। इसलिये। अनुदार दल का प्रयत्न केवल पूँजीपति और सम्पन्न वर्गों को ही अपनी ओर आकर्षित करना नहीं है, बल्कि वह मध्यम और श्रमिक वर्ग को भी साथ लेकर चलना चहता है। सिडनी बेली का कथन है- “यद्यपि उच्च एवं मध्यम वर्ग के लोग अधिकांशतः अनुदार या रूढ़िवादी हैं तथापित अनुदार दल काम करने वाले लोगों के बिना किसी निर्वाचन में विजय नहीं प्राप्त कर सकता।”
पिछले कुछ वर्षों से दल में प्रगतिशीलता प्रतीत हो रही है। 1947 में अनुचार दलीय सम्मेलन द्वारा स्वीकृत Industrial Charter में केन्द्रीय नियोजन (Central Palnning) को देश के आर्थिक विकास के लिये आवश्यक माना गया। 1949 में स्पष्ट रूप से घोषणा की गई कि देश में सभी व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा और प्रशासन पूरी तरह से लोक कल्याणकारी राज्य (Welfare) State) की स्थापना करेगा। साथ ही दल ने सबके लिये गृह निर्माण की योजना पर बल दिया।
1964 के निर्वाचन में दल चुनाव हार गया। 1966 में पुनः निर्वाचन हुए। अनुदार दल ने Action not words शीर्षक से प्रसारित अपने घोषणा पत्र में कहा, “हमारा उद्देश्य इस देश के प्रशासन को सक्षम और यथार्थवादी तरीके से चलाना है, ताकि बाजार में वस्तुओं के मूल्य गिरें, वेतन में वृद्धि हो तथा सामाजिक सुरक्षा का अच्छा स्तर स्थापित हो।” मई 1979 के आम चुनाव में पार्टी ने एशियाई प्रवासियों के लिये कठोर नीति अपनाने की घोषणा की घोषणा के आश्चर्यजनक परिणाम निकले। पार्टी को एक बार चुनाव में भारी सफलता मिली। 1983 और फिर 1987 में अनुदार दल की ही विजय हुई। इस प्रकार 1979 से ब्रिटेन में अनुदार दल सत्तारूद है।
यह दल सैद्धान्तिक रूप से रंग भेद का विरोधी है। राज्यों में आणविक शक्ति के आधार पर संतुलन चाहता है। यह दल नाटो का समर्थन करता है। अमेरिका से घनिष्ठता चाहता है। ब्रिटेन के तीसरे दरजे की शक्ति रह जाने पर विश्व राजनीति में यह दल अपने देश का स्थान खोना नहीं चाहता।
अनुदार दल की सदस्यता
अनुदार दल के सदस्य प्रायः कुलीन और सम्पन्न व्यक्ति हैं। आरम्भ में इस बल में बड़े-बड़े सामन्त और भूमिपति ही अधिक थे। बाद में बड़े-बड़े व्यवसायीभी इस दल की सदस्यता ग्रहण की।
अनुदार दल की नीति और कार्यक्रम
यह दल अतीत की परम्पराओं का प्रेमी है। इसे अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व है और यह चाहता है कि अतीत की वे परम्पराएं बनी रहे। राजनीतिक क्षेत्र में यह दल चाहता है कि सम्राट का अस्तित्व बना रहे, लार्ड सभा की शक्तियाँ बनी रहे, ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य चमकता रहे। इसलिये अनुदार दल ने नाममात्र के सम्राट के भी गीत गाये और लार्ड सभा को उखाड़ने वाले श्रमिक दल के प्रस्तावों का विरोध किया।
श्रमिक दल की नीति और कार्यक्रम
श्रमिक दल सुधारवादी है, साम्यवादी क्रान्तिकारी नहीं ब्रिटिश समाजवादी या दल यूरोप के समाजवादी दलों में सबसे महान है। फिर भी यह मार्क्सवाद के सिद्धान्त का खण्डन करता है। वह श्रमिकों की भलाई अवश्य चाहता है, परन्तु वर्ग संघर्ष में विश्वास नहीं करता। वह पूँजीवाद को समाप्त करना अवश्य चाहता है, परन्तु पूँजीपतियों की हत्या में उसकी आस्था नहीं है। यह समाजवादी है, साथ ही प्रजातांत्रिक भी।
उदार दल 1688 की शानदार रक्तहीन क्रान्ति का जिन लोगों ने समर्थन किया वे डिग कहलाये। न तो ताज के भक्त थे और न चर्च के पुजारी। उनकी स्पष्ट मान्यता थी कि सम्राट, चर्च और लार्ड सभा से ऊपर नहीं है। यदि वे संस्थायें आवश्यक नहीं रही तो इन्हें सुधार दिया जाये या समाप्त कर दिया जाये सरहवीं शताब्दी के हिंग ही उन्नीसवीं शताब्दी के उदारवादी है।
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नीति और कार्यक्रम
यह दल उदारवादी था, इसलिये इसका नाम उदारवादी दल पड़ गया। यह दल सुधार चाहता था, क्रान्ति नहीं। अतः वह प्रगतिशील भी था और रूढ़िवादी भी। सिडनी बेली के शब्दों में, “गत तीन शताब्दियों में हिग दल (उदारवादी दल) कई पहलुओं से गुजर चुका है। कभी वह धनिकों का पोषक और कभी पददलितों का संरक्षक । कभी इसमें शान्ति के दल और कभी कठोर प्रतिकार करने वाले दल का रूप ले लिया, कभी वह सद्भाव्यम का समर्थन करता तो कभी आर्थिक नियोजन का पक्षपोषक रहा है कभी वह साम्राज्यवाद का दल रहा है तो कभी छोटे से इंग्लैण्ड का समर्थक। सामान्यतः यह सहिष्णुता का समर्थक रहा, परन्तु कुछ अवधियाँ बड़ी विकट असहिष्णुता की भी रही है।
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