बोदां के राज्य सम्बन्धी विचार – अपनी राज्य सम्बन्धी मान्यताओं की व्याख्या करने में बोदां अरस्तू का अनुसरण करता है। अरस्तू की तरह ही बोदां परिवार को राज्य की बुनियादी इकाई मानता है। परिवार से बोदा का अर्थ एक ऐसे प्राकृतिक संगठन से है जिसमें विभिन्न प्रकार के सम्बन्ध पाये जाते हैं तथा जो एक गृहस्वामी की सर्वोच्च शक्ति से संचालित होता है। ये विभिन्न तरह के सम्बन्ध हैं- पति-पत्नी सम्बन्ध, पिता-संतान सम्बन्ध, स्वामी दास सम्बन्ध आदि। बोदों के अनुसार इन विभिन्न तरह के सम्बन्धों से निर्मित संगठन परिवार है तथा जो गृहस्वामी के प्रति समान श्रद्धा और आज्ञा पालन के सिद्धान्त पर आधारित है।
यह परिवार जब विस्तृत होता है तो अन्ततः राज्य को जन्म देता है। इस आधार पर राज्य की परिभाषा करते हुए वह कहता है कि “राज्य अनेक परिवारों तथा उनकी सामान्य सम्पत्ति का सम्प्रभुता सम्पन्न एक विधिसंगत शासन है।” परिवार की सामान्य सम्पत्ति से उसका तात्पर्य पिता, माता, बच्चे, दास तथा उनकी सामूहिक सम्पत्ति से है।
बोदां के सम्प्रभुता सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
ये सब मिलकर एक प्राकृतिक समुदाय का निर्माण करते हैं जिससे अन्य नागरिक समुदायों का निर्माण होता है, जैसे- ग्राम, नगर आदि। ये समुदाय एक सम्प्रभु के अधीन संगठित होते हैं जो एक राजनीतिक समुदाय या राज्य का निर्माण करते हैं।