भूमिका की विशेषताएँ बताइए।

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भूमिका की विशेषताएँ

भूमिका की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है

(1) भूमिका /कार्य एक स्थिति विशेष का एक क्रियात्मक पक्ष है। दोनों ही इस कारण साथ-साथ चलते हैं। एक के सन्दर्भ में दूसरे को समझा जा सकता है।

(2) एक स्थिति विशेषज्ञ पर आसीन एक व्यक्ति के अनेक प्रकार के परस्पर सम्बन्धित व्यवहारों को करने की समाज द्वारा आशा की जाती है। इन्हीं अन्तःसम्बन्धित व्यवहार प्रतिमानों के एक सम्मिलित रूप को कार्य कहा जाता है।

(3) अतः स्पष्ट है कि “कार्य’ में अन्तर्निहित व्यवहार समूह समाज की प्रत्याशाओं के अनुसार होते हैं। अर्थात् “कार्य के अन्तर्गत एक व्यक्ति किस प्रकार के व्यवहारों को करेगा यह हमारे या आपकी इच्छा पर नहीं अपितु समाज की स्वीकृति पर निर्भर होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रत्येक कार्य का एक सामाजिक सांस्कृतिक आधार होता है।

(4) सामाजिक मूल्य, आदर्श तथा उद्देश्य “कार्य’ के स्वरूप को परिभाषित करते हैं। अतः सामाजिक मूल्य, आदर्श व उद्देश्य के विपरीत कार्यों को सहन नहीं किया जाता है।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (N.C.E.R.T.) पर एक टिप्पणी लिखिए।

(5) चूंकि इन सामाजिक मूल्य, आदर्श तथा उद्देश्यों में समय-समय पर परिवर्तन होता रहता है, अतः “कार्य भी एक परिवर्तनशील धारणा है। सामाजिक मूल्यों तथा आदशों में परिवर्तन हो जाने पर “कार्य’ भी बदल जाते हैं। उदाहरणार्थ, परम्परागत हिन्दू परिवार में पत्नी के जो कार्य थे आज उनमें अनेक परिवर्तन हो गए हैं क्योंकि वर्तमान समय में परिवार तथा विवाह एवं साथ ही स्त्रियों की स्थिति-सम्बन्धी मूल्यों तथा आदशों में भी अनेक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

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