भाषावाद की समस्या
हमारे देश में भाषावाद की समस्या सबसे बड़ी बाधा है, राष्ट्रीय एकता में भाषावाद ने लोगों को एक दूसरे से अलग कर दिया है, क्योंकि इसी के कारण लोग भावात्मक रूप से एक दूसरे से जुड़ नहीं पाते। कौन सी भाषा को प्रधानता दी जाए इसी बात को लेकर लोगों में आपसी झगड़े होते हैं।
समाधान के सुझाव
भाषा की समस्या को हल करने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि अहिन्दीभाषी राज्यों में हिन्दी भाषा का समुचित प्रचार-प्रसार हो, शिक्षा का माध्यम प्रान्तीय भाषा को बनाया जाए, अल्पसंख्यकों की भाषाओं को समुचित प्रोत्साहन दिया जाए तथा देश की सभी भाषाओं को फलने-फूलने के लिए आवश्यक अवसर सुलभ कराए जाएँ। इस संदर्भ में आचार्य विनोबा भावे ने सुझाव दिया था कि देश की सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी होनी चाहिए, ताकि एक दूसरे की भाषा सोखने में सहायता प्राप्त हो। भाषायी विवाद का समाधान करने के लिए सरकार और राजनेताओं को चाहिए कि वे अत्यन्त समझ-बूझ और संयम का प्रदर्शन करें, अपने संकीर्ण और तुच्छ स्वाथों को छोड़कर राष्ट्र के हितों को प्राथमिकता दें ताकि भाषा की समस्या का शान्तिपूर्ण हल निकल सके।
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