प्रस्तावना- हम भारतवासियों ने कई सौ वर्षों तक अंग्रेजों के अत्याचार सहन किए हैं; शोषण सहन किए हैं। कितने ही सालों तक अंग्रेजी शासकों ने हम पर शासन किया है, जिसके कारण हम भारतीयों में विद्रोह की भावना ने जन्म ले लिया था। इसीलिए भारतीयों ने अपना तन, मन, धन, सब कुछ न्यौछावर कर पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त करने की अटल प्रतिज्ञा की। हमारे वीर भारतीयों ने रावी के तट पर वसन्त पंचमी तथा 26 जनवरी सन् 1930 को पूर्ण स्वराज्य की माँग की। हम भारतीय अंग्रेजों के अत्याचार सहते-सहते थक चुके थे, उनके नियमों का पालन करना हमारे लिए सरल नहीं था। हर भारतीय चाहता था कि परतन्त्रता की बेड़ियाँ टूट जाएँ तथा हमारा भी अपना संविधान हो। भारतीय नेताओ के अथक प्रयास की बदौलत हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया। इसके पश्चात् हमारा अपना भारतीय संविधान 26 जनवरी 1949 को बनकर तैयार हो गया एवं 26 जनवरी 1950 से यह पूर्णरूपेण लागू हो गया। हर भारतवासी के लिए वह दिन सबसे यादगार दिन था तथा हर भारतवासी ने 26 जनवरी को प्रत्येक वर्ष ‘गणतन्त्र दिवस’ के रूप में मनाने का निश्चय किया।
भारतीय संविधान का विशेष महत्त्व
भारतीय संविधान विश्व के सभी संविधानों में अपना एक विशेष महत्त्व रखता है तथा संसार के किसी भी देश का संविधान हमारे संविधान की बराबरी नहीं कर सकता। कुछ विषयों में हमारे देश का संविधान अमेरिका तथा स्विट्जरलैण्ड के संविधान से मेल खाता है तो कुछ मामलों में इंग्लैंड के सविधान से हमारे संविधान में सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक तथा आर्थिक सभी भारतीय परम्पराओं को पूर्ण सुरक्षा की गयी है। हमारे संविधान में पिछड़े, दलित तथा अल्पसंख्यकों के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा गया है। हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है क्योंकि विधान परिषद् को अपने कार्यकाल में लगभग 2500 संशोधनों पर विचार-विमर्श करना पड़ा था। हमारे संविधान में 395 धाराएँ एवं 9 परिशिष्ट है तथा यह 22 भागों में बँटा हुआ है।
हमारे संविधान की मुख्य विशेषताएँ
हमारे संविधान का निर्माण करते समय हमारे देश की परिस्थितियों तथा लोगों की भावनाओं का पूर्णरूपेण ध्यान रखा गया था। हम भारतीय धर्मनिष्ठ, कर्त्तव्यनिष्ठ, समानाधिकारी तथा शान्तिप्रिय है। इसीलिए इस संविधान में समानता, उदारता तथा मैत्री भाव जैसे आदर्श गुणों का पूर्ण समावेश है। हमारा संविधान धर्म-जाति, छोटे बड़े, अमीर-गरीब के भेदभाव से दूर है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं। हमारा संविधान धर्म-निरपेक्षता पर आधारित है, अर्थात् प्रत्येक भारतीय अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म का पालन कर सकता है। हर व्यक्ति अपनी सामर्थ्य तथा रुचिनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकता है तथा भाषाओं का अध्ययन करके अपना ज्ञानवर्धन कर सकता है।
आरक्षण नीति पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
प्रत्येक व्यक्ति अपना मनपसन्द व्यवसाय चुन सकता है या नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को सम्पत्ति अर्जित करने का अधिकार प्राप्त है। कोई किसी को भी अछूत कहकर नहीं पुकार सकता। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता भी है तो वह वैधानिक रूप से दण्ड का भागी होता है। साम्प्रदायिकता को भी संविधान में अवैध घोषित किया गया है। लेख, भाषण एवं व्याख्यानों द्वारा प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वतन्त्र विचार प्रस्तुत कर सकता है। अर्थात् हर व्यक्ति को हर विषय पर बोलने का समान अधिकार प्राप्त है, परन्तु किसी भी सरकारी कर्मचारी को यह अधिकार प्राप्त नहीं है। इसके अतिरिक्त बाल-श्रम, दहेज-प्रथा, बाल-विवाह आदि कानूनन अपराध है।
भारतीय संविधान में मताधिकार की सुरक्षा
हमारा संविधान पूर्णतया है तथा इसीलिए यह एक आदर्श संविधान है, जिसके द्वारा प्रत्येक नागरिक स्वयं को भारतवासी होने पर गर्व महसूस करता है। हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा करता है, साथ ही उसे कर्त्तव्यबोध भी कराता है।