भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों
भारत के मूल संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है। उन (मौलिक अधिकारों) पर कतिपय प्रतिबन्धों को तो लिखित रूप में स्पष्ट किया गया परन्तु कहीं भी उन्हें कर्तव्य के रूप में नहीं दिखाया गया है। यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि अधिकार और कर्तव्य के मध्य अविच्छिन्न सम्बन्ध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। जहाँ अधिकार, वहीं उसमें जुड़ा कर्तव्य भी है। यदि हमें विचाराभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है तो उसी में यह बात भी निहित है कि हम इसका प्रयोग इस प्रकार करें कि दूसरे व्यक्ति की स्वतन्त्रता अथवा उसके किसी अधिकार पर आघात न हो। यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति केवल अधिकार की ही बात सोचे और करे परन्तु अपने कर्तव्य पर ध्यान नहीं दे तो उससे अराजकता और अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। इसी प्रकार किसी भी समाज में केवल कर्तव्य ही नहीं होता है। एक का कर्तव्य दूसरों का अधिकार तथा किसी का अधिकार कर्तव्य बन जाता है।
दोनों एक-दूसरे के पूरक है। इस धारणा के कारण ही हमारे संविधान निर्माताओं ने मूल संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख नहीं किया है। उन्होंने केवल कतिपय प्रतिबन्धों का ही प्रावधान किया तथा यह मन्शा व्यक्त की कि मौलिक अधिकारों में ही उनके कर्तव्य भी निहित हैं। सन् 1979 में आपात काल के समय तत्कालीन सरकार ने अनुभव किया कि संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों का भी समावेश होना चाहिए। इस प्रकार संवैधानिक संशोधन के माध्यम से संविधान के चतुर्थ भाग में (चतुर्थ-अ) जोड़कर मौलिक कर्तव्यों का उसमें समावेश कर दिया। उन्हें अब संवैधानिक मान्यता प्राप्त है। संसद कानून बनाकर इसके उल्लंघन को दण्डनीय बना सकती है। ये कर्तव्य निम्नलिखित है
आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) क्या है?
- संविधान का पालन तथा उसके आदर्शों एवं संस्थाओं और राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगान का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
- राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्चादर्शों को हृदय में बनाये रखना तथा उनका पालन करना नागरिकों का कर्तव्य है।
- देश की प्रभुता, एकता और अखण्डता बनाये रखना अर्थात् कोई ऐसा क्रिया-कलाप न करना जिससे इन पर आघात हो।
- नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे धर्म, भाषा, प्रदेश और वर्ग पर आधारित भेद भाव से दूर रहकर लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का विकास करें।
- देश की रक्षा और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र सेवा करना कर्तव्य है।
- देश की समन्वित संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझना और उनका संरक्षण करना कर्तव्य है।
- वन, झील, नदी और वन्य जीव सहित सभी प्रकार के प्राकृतिक पर्यावरणों की रक्षा और उनका सवंर्धन करना तथा प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव रखना हमारा कर्तव्य है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, ज्ञानार्जन तथा मानववादी एवं सुधारवादी भावना का विकास करना नागरिकों का कर्तव्य है।
- सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना, हिंसा से विरत रहना नागरिकों का कर्तव्य है।
- व्यक्तिगत तथा सामाजिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करना भी कर्तव्य है।
- Top 10 Best Web Hosting Companies in India 2023
- InCar (2023) Hindi Movie Download Free 480p, 720p, 1080p, 4K
- Selfie Full Movie Free Download 480p, 720p, 1080p, 4K
- Bhediya Movie Download FilmyZilla 720p, 480p Watch Free
- Pathan Movie Download [4K, HD, 1080p 480p, 720p]