भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता संविधान का कठोर एवं लचीला होना है। हमारा संविधान ब्रिटिश संविधान की भाँति न तो अधिक लचीला है और न ही अमेरिकी संविधान की भाँति अधिक कठोर। इसमें संशोधन करने की विधि न अत्यधिक दुष्कर बनाई गई और न ही अधिक सरल। इसमें एक मध्य मार्ग अपनाया गया है, जिसे संविधान कठोर एवं लचीले संविधान का सम्मिश्रण कहा जा सकता है। लचीला संविधान इसलिए कि संविधान में कुछ ऐसे उपबन्ध है जिनमें संसद साधारण बहुमत से संशाधन कर सकती है।
कुछ अनुच्छेदों में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों के उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के साथ-साथ भारतीय संघ के कम से कम आधे राज्यों की विधान सभाओं की स्वीकृति आवश्यक होती है, जैसे- महत्वपूर्ण विषयों में संघ, राज्य एवं समवर्ती सूची में परिवर्तन, राष्ट्रपति की शक्तियाँ, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति, संख्या में परिवर्तन आदि की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है। अतः हम कह सकते हैं कि भारतीय संविधान कठोर एवं लचीले संविधान का सम्मिश्रण या समन्वय है।