एक धर्म प्रधान देश होने के कारण भारतीय समाज में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके द्वारा मानव जीवन के प्रत्येक व्यवहार को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। भारतीय समाज एवं संस्कृति के विभिन्न अंगों पर धर्म की स्पष्ट छाप है। प्रत्येक भारतीय अपने पूर्व जन्म से मृत्यु तक सूर्योदय से सूर्यास्त तक दैनिक एवं वार्षिक जीवन में अनेक धार्मिक कार्यों की पूर्ति करता है। भारतीय धर्म प्रत्येक जीवन में ईश्वर का अंश मानता है, इसीलिए वह जीवन की भलाई में विश्वास करता है। अतः कहा जा सकता है कि भारत में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रदत्त व्यवस्थापन (प्रयोजित विधायन) क्या है? इसके क्या गुण-दोषों का वर्णन कीजिये।
भारतीय ग्रामवासी ईश्वर एवं प्रकृति में अनन्य विश्वास करते हैं और बिना तर्क के धार्मिक नियमों का पालन करते हैं। नित्यप्रति देवी-देवताओं की पूजा करना, पूजा-भजन करना, रामायण-भगवद्गीता आदि पढ़ना, दान-दक्षिणा देना आदि धार्मिक क्रियाएँ हिन्दू ग्रामवासियों के जीवन के अभिन्न अंग समझे जाते हैं। गाँवों में जो भी आर्थिक एवं सामाजिक क्रियाएँ की जाती हैं उनमें धर्म का अत्यधिक प्रभाव रहता है।