भारतवर्ष में सूचना संचार तकनीकी का शिक्षा में प्रयोग
भारतवर्ष में सन् 1991 में UGC ने इन्फॉर्मेशन एण्ड लाइब्रेरी नेटवर्क (Information and Library Network : INFLIBNET) नाम की योजना शुरू की थी जो कि विश्वविद्यालयों के सूचना केन्द्रों (Information Centres) और लाइब्रेरी को जोड़ने वाला कम्प्यूटर कम्युनिकेशन नेटवर्क था। विश्वविद्यालयों के समकक्ष उच्च शिक्षा संस्थान, राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, यू. जी. सी. के सूचना केन्द्र, अनुसंधान और शोध संस्थान आदि को नेटवर्क के द्वारा आपस में जोड़ने का प्रयास किया गया। INFLIBNET ने कम्प्यूटर और संचार तकनीकी का प्रयोग करके तथा अपने संसाधनों का प्रयोग कर रहे पूरे शैक्षिक जगत् का एक केन्द्रीय डेटाबेस (Centralised Database) तैयार किया है, जिसमें उपरोक्त संस्थाओं से सम्बन्धित सूचनाएँ या आँकड़े भरे गए हैं। यू. जी. सी. की योजना ऑन लाइन एक्सस (On Line Access) के लिए राष्ट्रीय संयुक्त केटलॉग (National Union Catalogue) तैयार करने की है।
भारतवर्ष में दसवीं पंचवर्षीय योजना में यह सुनिश्चित किया गया है कि कॉलेज व विश्वविद्यालयी शिक्षकों को यू. जी. सी. नेट (U.G.C. Net) के द्वारा आपस में इंट्रानेट (Intranet) और इंटरनेट (Internet) के माध्यम से जोड़ा जाय। शिक्षकों और प्रशासकों को कम्प्यूटर व इंटरनेट साक्षरता प्रदान की जाय। अनुसूचित जाति व जनजाति, अल्पसंख्यकों, महिलाओं व पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए कम्प्यूटर संचार तकनीकी व वायो तकनीकी के अध्ययन के लिए विशेष सहायक कार्यक्रम चलाए जाएँ। इस शिक्षा के क्षेत्र में सूचना व संचार तकनीकी के निवेश को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार स्वयं ही प्रयासरत है। विभिन्न मंत्रालय यू. जी. सी., मुक्त शिक्षा संस्थान, NCTE, NCERT, NIEPA स्कूल वोर्ड तथा अन्य संगठन भी शिक्षा के क्षेत्र में ICT के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता प्रदान कर रहे हैं। भारत सरकार का विचार है कि सन् 2003 तक सभी स्कूलों में कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध हो जाए। इन सुविधाओं का लाभ तभी मिल सकता है, जबकि विद्यालयी या विश्वविद्यालयी शिक्षक कम्प्यूटर व इंटरनेट के प्रयोग के लिए सक्षम हो।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (National Council of Teach Education: NCTE) सूचना –संचार तकनीकी से सम्बन्धित पाठ्यक्रम के लिए विभिन्न कॉम्पेक्ट डिस्क (CDS) का ने विकास किया है। पूरे भारत में शिक्षक प्रशिक्षकों (Teacher Educatos) को सूचना प्रशिक्षण या अध्यापक शिक्षा संस्थाओं में यह अध्यादेश लागू किया गया है कि वे अपने पाठ्यक्रम में ICT को केन्द्रीय विषय के रूप में ग्रहण करें। CASE ने शिक्षा में संचार तकनीकी के प्रयोग की दृष्टि से B.Ed. स्तर पर 2002-2003 में अनिवार्य विषय के रूप में ICT को पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है. यहाँ तक कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम भी B.Ed. स्तर पर उपलब्ध कराया है। NCERT ने भी विद्यालयीय पाठ्यक्रम की रूपरेख (School Curriculumn Frmae Work) तैयार की है, जिसमें ICT को पाठ्यक्रम के साथ समाकलित (Integrate) किया गया है। NCERT ने भी शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में ICT को सम्मिलित करने पर विशेष बल दिया है, क्योंकि ICT कुशल (Competem) शिक्षकों के अभाव में यह योजना क्रियान्वित नहीं हो सकती।
शिक्षा में ICT के क्षेत्र में कुछ प्रयास किये जा रहे हैं जो निम्न प्रकार है— भारतवर्ष में अभी तक शिक्षा में ICT के जितने भी प्रयास किए गए है, उनकी संख्या संतोषजनक नहीं है। भारतवर्ष में करीब 11,562 महाविद्यालय है, जिसमें से कुछ के पास ही
इंटनेट हैं। 274 विश्वविद्यालयों में से केवल 5प्रतिशत के पास इंटरनेट की सुविधा है। शायद ही कहीं विश्वविद्यालय और सम्बन्धित महाविद्यालय इंटरनेट के माध्यम से जुड़े हों।
शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों में उपयुक्त स्तर की ICT की सुविधा उपलब्ध नहीं है। आज जबकि पूरा विश्व शिक्षण / अनुदेशन की पुरातन विधियों को छोड़कर आधुनिक शिक्षा तकनीकियों की ओर अग्रसर है, वहीं हम कक्षा शिक्षण की पुरानी विधि Chalk and Talk, से ही काम चला रहे हैं। यदि वह शिक्षण संस्थाओं में कम्प्यूटर प्रयोगशालाएँ और ICT प्रयोगशालाएँ हैं भी तो केवल प्रदर्शनी के लिए हैं प्रयोग के लिए नहीं। कारण स्पष्ट है, विद्यालयी शिक्षा का शिक्षक प्रशिक्षक संस्थाओं, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के साथ तालमेल नहीं है, जिसके कारण ICT से सम्बन्धित नीतियों का क्रियान्वयन संभव नहीं होता। विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के शिक्षकों के ओरिएन्टेशन और पुनश्चर्या कार्यक्रमों का संचालन करने वाले एकेडमिक स्टॉफ कॉलेजों (ASCs) के पास भी (ICT) से सम्बन्धित सुविधाएँ उपयुक्त नहीं हैं।
विद्यालयी स्तर पर ‘कम्प्यूटर साइंस एक विषय के रूप में सम्मिलित किया गया है, लेकिन आवश्यकता है कम्प्यूटर या माध्यम (Media) की सहायता से शिक्षण की। कम्प्यूटर / माध्यम की सहायता से शिक्षण के लिए शिक्षकों को ही ICT के प्रयोग करने हेतु सक्षम बनाना होगा। शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम के साथ ICT को समाकलित करना होगा। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा ‘शिक्षा’ को राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की संयुक्त जिम्मेदारी बनाना । निजी या प्राइवेट संस्थाओं को भी शिक्षा में ICT के प्रयोग के लिए शिक्षा के क्षेत्र में उतरना होगा।
वर्ग की अवधारणा की विवेचना कीजिए।
मानव संस्थान विकास मंत्रालय (MHRD) (2001) के अनुसार स्कूलों और शिक्षण संस्थाओं में कम्प्यूटर साक्षरता और ICT को समाकलित करने तथा उनका सार्वभौमीकरण (Universalisation) करने के प्रति विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ‘नेशनल टास्क फोर्स ऑन अन्फारमेशन टेक्नालॉजी एण्ड सॉफ्टवेयर डेवलपमेडण्ट’ (National Task Force on Information Technology and Software Development ) जिसकी स्थापना सन् 1998 में हुई है, उसने एक नेशनल इन्फारमेटिक्स पॉलिसी (National Informatics policy) का निर्माण किया जिसके अन्तर्गत ‘विद्यार्थी कम्प्यूटर स्कीम’ (Vidyarthi Computer Scheme), शिक्षा कम्प्यूटर स्कीम (Shiksha Computer Scheme) स्कूल कम्प्यूटर स्कीम (School Computer Scheme) वाइडर एक्सस टू कम्प्यूटर अदि उपयोग में आयेंगे।
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