भारत पर सिकन्दर के आक्रमण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

भारत पर सिकन्दर के आक्रमण – सिकन्दर ईरान को विजित कर लेने के बाद काबुल की ओर बढ़ा और ख़ैबर दर्रा पार करते हुए वह 326 ई.पू. में भारत आया। सिन्धु नदी तक पहुँचने में उसे पाँच महीने लगे। तक्षशिला के शासक आम्भि ने आक्रमणकारी के सामने तुरन्त घुटने टेक दिए। सिकन्दर ने अपनी फौजी ताकत बढ़ायी और खजाने में हुई कमी को पूरा किया। झेलम नदी के किनारे पहुँचने पर सिकन्दर का पहला और सबसे शक्तिशाली प्रतिरोध पोरस (अथवा पुरु) ने किया।

सिकन्दर ने पोरस को हरा दिया, मगर वह उस भारतीय राजा की बहादुरी और साहस से बड़ा प्रभावित हुआ। इसलिए उसने उसका राज्य वापस कर दिया तथा पोरस को अपना सहयोगी बना लिया। इसके बाद वह व्यास नदी तक पहुँचा। वह पूरब की तरफ और भी बढ़ना चाहता था मगर उसकी फौज ने उसका साथ देने से इनकार कर दिया। यूनानी सैनिक लड़ते-लड़ते थक गए थे और बीमारियों ने उन्हें घर दबाया था।

कोशल महाजनपद का संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिए।

भारत की गरम आबोहवा और दस सालों से लगातार विजय अभियान में लगे रहने के कारण वे पर लौटने के लिए अत्यन्त आतुर हो गए थे। उन्हें सिन्धु के किनारे भारतीय शौर्य का भी आभास मिल चुका था। इससे उनमें आगे बढ़ने की कोई इच्छा नहीं रह गई। अतः विवश होकर सिकन्दर ने वापसी का आदेश दिया। वह भारत में कुल 19 माह रहा।

    Leave a Comment

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Scroll to Top