भारत पर दारा के आक्रमण – ईरानी शासक डेरियस या दारा प्रथम ने (522-486 ई.पू.) भारत पर आक्रमण की -योजना बनाई। उसने 519-513 ई.पू. के बीच सिन्धु- प्रदेश पर विजय प्राप्त की। हम दान एवं नक्श-ए-रुस्तम अभिलेखों से डेरियस द्वारा सिन्धु-प्रदेश पर विजय की पुष्टि होती है। हेरोडोटस भी इस विजय की पुष्टि करता है। सिन्धु-प्रदेश का वर्णन करते हुए हेरोडोटस कहता है, “सिन्धु नदी में घड़ियाल बहुत होते हैं। इस दृष्टि से क्रम में वह दूसरी है। बादशाह डेरियस प्रथम यह जानने का इच्छुक था कि यह नदी समुद्र में कहाँ गिरती है।
इसके लिए उसने जहाज रवाना किए, ताकि उसे सही जानकारी मिल सके। ये लोग पकतीक (पक्यसपठान देश) प्रदेश के कैस्पाटीरस नगर (गान्धार- प्रदेश का कोई नगर) से पूर्व की ओर, नदी के बहाव के साथ-साथ रवाना हुए। समुद्र से वे पश्चिम को चल पड़े और तीस महीने की यात्रा के बाद ऐसी जगह पहुंचे, जहाँ से मि का राजा अपने कुछ आदमियों को लीबिया की यात्रा पर भेज रहा था। फिर, जब डेरियस के आदमी यात्रा से वापस आए, तब उसने भारतीय भागों पर कब्जा कर लिया।”
बिन्दुसार का शासनकाल का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
हेरोडोटस यह भी कहता है कि भारत ईरानी साम्राज्य का बड़ी घनी आबादी वाला प्रदेश या तथा इससे साम्राज्य को प्रतिवर्ष 360 टेलेंट सोना मिलना था। बहिस्तान अभिलेख से डेरियस द्वारा गान्धार- प्रदेश पर भी विजय की पुष्टि होती है। इस प्रकार, डेरियस ने कम्बोज पश्चिमी गान्धार और सिन्ध- प्रदेश पर विजय प्राप्त की। ये राज्य ईरानी साम्राज्य के क्षत्रपी (प्रान्त जहाँ क्षत्रप शासन करते थे) थे।