भारत में सामाजिक परिवर्तन के कोई दो क्षेत्र बताइये।

भारत में सामाजिक परिवर्तन का क्षेत्र

(1) जाति व्यवस्था में परिवर्तन

विभिन्न कारकों के परिणामस्वरूप जाति-व्यवस्था की संरचना एवं कार्यों में अनेक परिवर्तन आये हैं जो जाति में नवीन प्रवृत्तियों के उदय के लिए उत्तरदायी हैं। आज जाति में जन्म के महत्व में कमी आयी है, ब्राह्मणों की स्थिति में गिरावट आयी है, विवाह सम्बन्धी जाति के प्रतिबंध शिथिल हुए हैं, जातीय संस्तरण बदला है, अब जातिगत व्यवसाय करना आवश्यक नहीं है। भोजन एवं सामाजिक सहवास सम्बन्धी प्रतिबंध भी शिथिल हुए हैं तथा जातियों के पारस्परिक सम्बन्धों एवं जजमानी प्रथा में परिवर्तन हुए हैं। जातीय समितियां बनने लगी हैं तथा अस्पृश्य जातियों के अधिकारों में वृद्धि हुई है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में राज्य आयोग के गठन, कार्यक्षेत्र एवं शिकायतों के निवारण की कार्यविधि के बारे में दिए गये प्रावधानों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।

(2) महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन-

सामाजिक परिवर्तन के फलस्वरूप महिलाओं की स्थिति में भी बहुत सुधार आया है। पश्चिमीकरण, लौकिकीकरण और सामाजिक गतिशीलता ने महिलाओं की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को काफी उन्नत किया है। स्त्री शिक्षा का भी काफी प्रसार हुआ है। अब वे आर्थिक दृष्टि से भी आत्मनिर्भर होती जा रही है।

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