भारत में राष्ट्रीय महिला आयोग के कर्त्तव्यों पर एक लेख लिखिये।

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राष्ट्रीय महिला आयोग

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2(j) में राष्ट्रीय महिला आयोग की परिभाषा दी. गई है जिसके अनुसार, “राष्ट्रीय महिला आयोग से राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनिम, 1990 की धारा 3 के अधीन गठित राष्ट्रीय महिला आयोग अभिप्रेत है।”

राष्ट्रीय महिला आयोग में एक अध्यक्ष, पाँच सदस्य-सचिव होता है। अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जानी है। अध्यक्ष के लिये ऐसी महिला को नियुक्त किया जाता है, जो नारी हितों की रक्षा के लिये समर्पित हो।

सदस्यों के रूप में ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है, जो विधि अथवा विधान, व्यवसाय संघ, औद्योगिक प्रबन्ध, औद्योगिक संगठन, स्त्रियों में रोजगार क्षमता में अभिवृद्धि करने का संकल्प, प्रशासन, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक कल्याण, स्वैच्छिक महिला संगठन आदि में से किसी भी क्षेत्र में अनुभव रखते हो।

अधिनियम की धारा – 10 में राष्ट्रीय महिला आयोग के कर्तव्य निम्नलिखित हैं

  1. संविधान एवं विधियों में महिलाओं के लिये प्राविधित रक्षा के उपायों से सम्बन्धित विषयों की जांच और परीक्षण करना;
  2. इन रक्षा के उपायों के सम्बन्ध में समय-समय पर सरकार को प्रतिवेदन देना;
  3. इन रक्षा के उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु सुझाव देना
  4. महिलाओं से सम्बन्धित विधियों की समय-समय पर समीक्षा कर उनमें संशोधन आदि के सुझाव देना के
  5. “संविधान एवं अन्य विधियों में महिलाओं के लिये किये गये प्रावधानों का उल्लंघन किये जाने पर उन पर प्रभावी कार्यवाही करने के प्रयास करना।
  6. महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार, शोषण आदि से उद्भूत समस्याओं की जाँच एवं उनका अध्ययन करना;
  7. सरकार को समय-समय पर प्रतिवेदन देना
  8. महिलाओं की विधिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु कोष अथवा निधि की स्थापना करना,
  9. महिलाओं के सर्वांगीण विकास की दशा में कदम उठाना
  10. जेलों, रिमाण्ड होगी, नारी निकेतनों आदि का निरीक्षण करना और अव्यवस्थाओं को निवारित करने का प्रयास करना एवं
  11. निम्नांकित मामलों से सम्बन्धित शिकायतों पर विचार कर उनके निवारण का प्रयास करना

एक अच्छे परामर्शदाता के गुण क्या है

  • (क) महिला अधिकारों से वंचित किया जाना;
  • (ख) विधियों का क्रियान्वयन नहीं किया जाना
  • (ग) महिलाओं को राहत प्रदान करने के लिये निर्मित नीतियों, मार्ग निर्देशकों आदि की अनुपालना नहीं किया जाना आदि।

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