बेसिक शिक्षा के दोष और गुण लिखिए।

बेसिक शिक्षा के निम्न दोष हैं

  1. ग्रामीण जनता के लिए ही होना – बेसिक शिक्षा उद्योगों और कौशलों के माध्यम से दी जाने वाली थी, इसीलिए इसे केवल ग्रामीण जनता के लिए ही बनाया गया न कि. नगरवासियों के लिए।
  2. बालक केन्द्रित न होकर शिल्प – केन्द्रित होना यह शिक्षा शिल्प पर बल देती है जो आवश्यक है। इसमें मनोवैज्ञानिकता नहीं रहती है।
  3. उत्पादन पर बल देने से धनलोलुपता का होना – यह शिक्षा छात्रों तथा अध्यापकों को धनलोलुप बनाती है।
  4. समय सारणी का असन्तुलित होना- कुल समय 5 घं0 30 मि0 में 3 पं० 20 मि केवल क्राफ्ट के लिए और केवल 10 मि० का अवकाश रखना असन्तुलित वितरण बताता है। इससे अरुचि व थकान भी होती है।
  5. सह-सम्बन्ध अनुचित ढंग से होना – आलोचकों ने सह-सम्बन्ध को अनुचित, अस्वाभाविक तथा अशुद्ध कहा है।
  6. समयानुकूल न होना – उद्योग की प्रगति के विचार से कला-कौशल उद्योग केन्द्रित शिक्षा समयानुकूल नहीं है।

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बेसिक शिक्षा के निम्न गुण हैं

  1. मनोवैज्ञानिक आधार होना – बालक को केन्द्र मानकर उसकी रुचि योग्यता, आवश्यकता के अनुसार इस पद्धति से शिक्षा दी जाती है।
  2. सामाजिक आधार होना – इस पद्धति से मानव चरित्रवान् सहिष्णु व कर्तव्यपरायण बनता जाता है।
  3. जनतन्त्र का निर्माण करना – बेसिक शिक्षा की मूल भावना ‘पढ़ो तथा कमाओ में पायी जाती है। ‘गरीबी हटाओ’ के नारे का यह पूरक है।
  4. साहित्य की अपेक्षा श्रम को महत्त्व देना – यह रिक्षा साहित्यिक न होकर व्यावहारिक व श्रम निहित है।
  5. विद्यालय, गृह और समाज के बीच समन्वय होना- इस पद्धति से शिक्षा देने से विद्यालय घर और समाज का संयोजक बनता है तथा एक गृहपालक व समाजसेवी व्यक्ति का निर्माण करता है।
  6. सह-सम्बन्ध की नयी विधि से ज्ञान देना- शिल्प एवं उद्योग के माध्यम से सभी विषयों की शिक्षा इस पद्धति में देते हैं। इसलिए ज्ञान की एकता बनी रहती है तथा रोचक ढंग से सभी विषयों का शान एक साथ मिलता है।
  7. क्रिया प्रधान होना- बेसिक शिक्षा बालक प्रधान तो है ही, यह क्रिया प्रधान भी है।

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