बंद और मुक्त गतिशीलता का क्या अर्थ है ?

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बंद और मुक्त गतिशीलता

बंद और मुक्त गतिशीलता – सामाजिक संगठन के आधार पर गतिशीलता के निम्नलिखित दो प्रमुख स्वरूप है।

1. मुक्त गतिशीलता- ऐसी गतिशीलता वाले समाज में विभिन्न स्तर समूहों की सदस्यता का जन्म / आनुवंशिकता के स्थान पर व्यक्ति के गुण, योग्यता व उपलब्धियाँ होती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति की किसी भी स्तर समूह की सदस्यता का निर्धारण जीवन पर्यन्त हेतु नहीं होता है। व्यक्ति एक पद एवं स्तर से दूसरे पद एवं स्तर में गमन कर सकता है। कोई व्यक्ति यदि आज एक स्थिति समूह का सदस्य है, तो भविष्य में वह अपने गुणों, योग्यताओं एवं परिश्रम के आधार पर उपलब्धियों में बढ़ोत्तरी करके किसी उच्च स्तर, पद या समूह की सदस्यत ग्रहण कर सकता है। मुक्त व्यवस्था वाले समाजों में गतिशीलता को स्वीकार भी किया जाता है तथा उसे बढ़ावा भी दिया जाता है।

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2. बंद गतिशीलता

ऐसे समाजों में व्यक्ति के पद और उसके स्तर समूह का निर्धारण जन्म / आनुवंशिकता पर आधारित होता है, जिसे वह जीवन पर्यन्त बदल नहीं सकता है। इसीलिए एक समूह को लगातार दूसरे समूह की सदस्यता ग्रहण करने का प्रश्न ही नहीं उत्पन्न होता। भारतीय जाति प्रथा बंद स्तरीकरण का प्रमुख उदाहरण है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति की जाति का निर्धारण उसके जन्म के समय से ही तय हो जाता है। व्यक्ति आजीवन उसी जाति का सदस्य बना रहता है, जिसमें उसका जन्म हुआ है। जाति को बदलना सम्भव नहीं है, अतः व्यक्ति की गतिशीलता के कम अवसर प्राप्त होते हैं। वर्तमान समय में अनेक कारणोंवश जातीय कठोरता कुछ कम हो रही है।

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