बहुपति विवाह उस विवाह को कहते हैं जिसमें एक स्त्री दो या दो से अधिक पुरुषों के साथ विवाह सम्पन्न करती है। बहुली विवाह की अपेक्ष बहुपति विवाह भारतीय जनजातियों में अधिक प्रचलित है। बहुपति विवाह की प्रथा र पर्वत के टोटा, देहरादून जिले में जौनसार बाबर की खस, केरल के सियांग, कुसुम्ब लडाकी बोट आदि जनजातियों में पाई जाती है। कुछ काल पूर्व केरल की इरावन जनजाति तथा कुर्ग निवासियों में यह प्रथा प्रचलित थी। दक्षिण भारत के नायरों में भी यह प्रथा प्रचलित थी । परन्तु अब उसके अवशेष कुछ उदाहरणों के रूप में मिलते हैं। पंजाब के पहाड़ी भागों जैसे लाहौर परगनों में चम्पा एवं काँगड़ा जिले में स्पीती, कुल्लू और मण्डी के ऊँचे प्रदेशों की जनजातियों तथा लाख निवासियों में बहुत ही अल्प मात्रा में बहुपति विवाहों का अस्तित्व बताया जाता है। मेन महोदय ने संथालों एवं मार्टिन महोदय ने मध्य भारत के ओरावो में इस प्रथा के प्रचलन का वर्णन किया है, किन्तु यह भारत में विशेष रूप से खस तथा टोडा इन दो ही जनजातियों में पाई जाती है।
नातेदारी का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
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